Ranchi : किसानों के मुद्दे पर प्रदेश बीजेपी नेताओं के मंगलवार को किये वर्चुअल धरना पर सत्तारुढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सवाल खड़ा किया है. पार्टी प्रवक्ता सह महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि एसी कमरे में बैठकर बीजेपी नेता किसानों की बात करने वाले बीजेपी नेता केंद्र के लाये उन तीन कृषि कानून पर कुछ नहीं बोल रहे हैं. जबकि यह सभी जानते हैं कि आज भी इस कानून का विरोध दिल्ली में जारी है. जेएमएम नेता ने कहा कि लोकसभा में बहुमत के बल पर पिछले वर्ष केंद्र की मोदी सरकार ने तीन किसान विरोधी कानून पास किये थे, उस विरोध की आग आज तक ठंडी नहीं हुई है. पिछले 9 अगस्त 2020 से लाखों किसान दिल्ली बॉर्डर में धरना में बैठे हुए हैं. पिछली बरसात, कड़ाके की सर्दी, भीषण गर्मी और कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में भी कोई किसान अगर धरने से नहीं उठा, तो इसका कारण केवल केंद्र की मोदी सरकार की तानाशाह नीति है. दूसरी तरफ आज हेमंत सोरेन सरकार के किसान हितैषी कामों प्रदेश बीजेपी नेता परेशान व डरे हुए हैं.
कृषि कानून से किसानों का हक छीना जा रहा है - सुप्रियो
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि बीजेपी के लाये तीन कृषि कानून सीधे-सीधे किसानों के हक को छीना जा रहा है. कृषि व्यवस्था को मारा जा रहा है. कॉपोरेट घरानों के हाथों में कृषि प्रणाली बेची जा रही है. आज इसी कृषि विरोधी कानून का असर है कि भाजपा को उनके गढ़ उत्तरप्रदेश में पंचायत चुनाव में करारी हार मिली है. पश्चिम बंगाल में भी बीजेपी की हार का एक कारण कृषि विरोधी तीन काला कानून ही है. उसी हार से लोगों का ध्यान भटकाने और कोरोना को लेकर हेमंत सोरेन के कामों से बढ़ती लोकप्रियता का ही असर है कि आज बीजेपी नेता हेमंत सरकार पर किसान विरोधी होने का अनर्गल आरोप लगा रहे है.
उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार शुरू से किसानों के हित में काम करती रही है. अपने चुनावी वादों के तहत पहले ही किसानों के ऋण माफी के लिए 2000 करोड़ रुपये की बजटीय व्यवस्था बनायी गयी है. यह ऋण माफी 2 लाख रुपये तक किया जाना है. धान के क्रय जो खरीदा गया, वह इस कोरोना संक्रमण में पूरे देश में तय सबसे अधिक राशि है.