घरेलू बचत 50 वर्षों में सबसे कम,  खड़गे ने कहा, मोदी सरकार ने जनता की जेब काटने का ठेका ले रखा है

New Delhi  : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने घरेलू बचत को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर आज निशाना  साधा.उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर वीडियो पोस्ट कर कहा, बचत बंद, घरेलू ख़र्चों पर लगाम, ये है अमृत काल का परिणाम !! खड़गे ने कहा कि Savings Account पर ब्याज दर 25 वर्षों में सबसे निचले पायदान पर आ गयी है.

 

 

 

खड़गे ने कहा कि घरेलू बचत 50 वर्षों में सबसे कम हुई है.  पिछले 3 वर्षों से लगातार गिरावट देखने को मिली है. ऐसा लगता है कि मोदी सरकार ने जनता की जेब काटने का ठेका ले रखा है. इससे पहले कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी इस मामले में मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया था,
 

 जयराम रमेश आज भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर भी मोदी सरकार पर बरसे. कहा कि अर्थव्यवस्था आगे बढ़ने का नाम ही नहीं ले रही, जबकि तेज आर्थिक वृद्धि न सिर्फ जरूरी है, बल्कि पूरी तरह संभव भी है.

 

जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया कि इस विफलता की सबसे अहम वजह यह है कि सितंबर 2019 में बड़ी टैक्स कटौती और PLI कैश हैंडआउट के बावजूद निजी कॉरपोरेट निवेश लगातार सुस्त बना हुआ है. मोदी सरकार के ही एक सर्वेक्षण में संकेत दिया गया है कि 2025-26 में निजी क्षेत्र का पूंजीगत व्यय पिछले वर्ष की तुलना में करीब 25% तक कम हो सकता है.

 

जयराम रमेश ने लिखा कि जानकार विश्लेषकों का कहना है कि बैंक कर्ज देने को तैयार हैं, लेकिन कंपनियां निवेश के लिए कर्ज लेने से हिचक रही हैं, क्योंकि मौजूदा माहौल को विस्तार (expansion)के अनुकूल नहीं माना जा रहा.

 

 मांग में वृद्धि ही निवेश को बढ़ावा देती है इसमें कोई दो राय नहीं कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताएं हैं, लेकिन भारत में मांग की कमी के तीन स्पष्ट कारण हैं मजदूरी में ठहराव, विकृत GST ढांचा और बढ़ती आर्थिक असमानता. जब उपभोग खुद नीचे जा रहा हो, तो कंपनियों के पास उत्पादन क्षमता बढ़ाने का कोई ठोस कारण नहीं होता.  

 

जयराम रमेश ने लिखा कि निवेश जितना एक वित्तीय निर्णय है, उतना ही वह मनोवैज्ञानिक कारकों से भी जुड़ा होता है.  टैक्स टेररिज्म द्वारा मचाई गयी तबाही, कुछ खास कॉरपोरेट समूहों द्वारा सिस्टम का दुरुपयोग, और बड़े कारोबारी वर्ग के भीतर फैला भय और असुरक्षा,  इन सभी कारकों ने निवेश की मानसिकता को और भी प्रभावित किया है. आखिरकार, निवेश में यह जड़ता मोदी सरकार की दबाव और दमन की नीतियों का अपरिहार्य परिणाम है. 

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