Saurav Singh
Ranchi: झारखंड राज्य के गठन से अबतक सिर्फ चार आईपीएस अधिकारियों को विशिष्ट सेवा के लिए झारखंड राज्यपाल पदक मिला है. इसके अलावा इस अवधि में सराहनीय सेवा पदक सिर्फ 31 पुलिस पदाधिकारी को ही मिला है.
इस बात का खुलासा गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग की रिपोर्ट में हुई है. इससे स्पष्ट है, कि विशिष्ट से सेवा के लिए झारखंड राज्यपाल पदक का लाभ बहुत ही कम पुलिस पदाधिकारी को मिल पाता है, जिसका प्रमुख कारण इन दोनों पदकों के लिए शर्त और सेवा अवधि कम से कम 10 साल
(सराहनीय सेवा के लिए) और सराहनीय सेवा पदक मिलने के बाद कम से कम छह साल की अवधि होने के बाद विशिष्ट सेवा के लिए झारखंड राज्यपाल पदक दिया जाना है. इस प्रकार कई पुलिस पदाधिकारी सराहनीय सेवा से सम्मानित होने के बावजूद इन छह सालों में आईजी स्तर से ऊपर पद में चले जाने के कारण विशिष्ट सेवा के लिए झारखंड राज्यपाल पदक से वंचित रह जाते हैं.
झारखंड पुलिस पदक के किए कोटिवार निश्चित संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई
राज्य स्थापना दिवस (15 नवंबर) के अवसर पर राज्य के पुलिस पदाधिकारियों व कर्मचारियों को दिए जाने का संकल्प झारखंड गठन के बाद साल 2001 में गठित किया गया,परंतु इतने सालों के बाद भी विशिष्ट सेवा के लिए झारखंड राज्यपाल पदक और सराहनीय सेवा के लिए झारखंड पुलिस पदक के लिए कोटि बार निर्धारित संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई, जिससे कई योग्य पुलिस पदाधिकारी झारखंड सरकार द्वारा दिए जाने वाले पदक से वंचित रह जाते हैं.
सिपाही से महानिदेशक तक के पदाधिकारियों को राज्यपाल और पुलिस पदक
झारखंड में अब आरक्षी (सिपाही) से लेकर महानिदेशक (डीजीपी) रैंक के अधिकारियों को विशिष्ट सेवा के लिए ‘झारखंड राज्यपाल पदक एवं सराहनीय सेवा के लिए ‘झारखंड पुलिस पदक से सम्मानित किया जा सकेगा.
सीएम हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में 20 जून को हुई कैबिनेट की बैठक में राज्य स्थापना दिवस पर पुलिस पदक से सम्मानित करने की प्रक्रियाओं में संशोधन की स्वीकृति दी गई है. वर्तमान में ‘राज्यपाल पदक और ‘झारखंड पुलिस पदक सिपाही से लेकर पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) स्तर तक के पदाधिकारियों व कर्मियों को मिलता था.
जिसे संशोधन कर सिपाही से लेकर महानिदेशक (डीजीपी) किया गया है. इसी तरह ‘राज्यपाल पदक और ‘झारखंड पुलिस पदक की कुल संख्या जो क्रमश: 10 और 31 थी, उसे बढ़ाकर अब क्रमश: 21 और 60 की गई है. आदेश में यह भी कहा गया है कि पदक के लिए क्षेत्र में कार्यरत पुलिस पदाधिकारी और कर्मी को ही प्राथमिकता दी जाएगी, कार्यालय में कार्यरत कर्मी इसके पात्र नहीं होंगे.