व्यवस्था पर उठ रहे सवाल
ऐसे में व्यवस्था पर सवाल उठना लाजिमी है. जबकि मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में दो बड़े ऑटोमेटिक डीजी जेनरेटर 167 केबीए और 30 केएम के लगे हुए हैं. करीब 50 लाख रुपए की लागत से यहां सोलर प्लांट लगाया गया है. प्रतिदिन मरीज के बेहतर इलाज और रोशनी उपलब्ध कराने के लिए 150- 200 लीटर डीजल की खपत होती है. इतना ही नहीं कई जगहों पर इनवर्टर की सुविधाएं दी गई हैं. बावजूद इसके अस्पताल के अति संवेदनशील और महत्वपूर्ण स्थल ट्रामा सेंटर के इमरजेंसी वार्ड जहां जीने मरने की स्थिति में ही मरीज पहुंचते हैं, वहीं रोशनी नहीं रहती है. जबकि सदर अस्पताल या शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सरकारी बिजली मिस्त्री के अलावा आउटसोर्सिंग के भी बिजली मिस्त्री 24 घंटे सेवा में रहते हैं. इसके बावजूद लगातार अंधेरे में डूबे रहने से ट्रामा सेंटर के इमरजेंसी वार्ड में पहुंचने वाले मरीजों और उनके परिजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इससे सवाल उठता है कि क्या अस्पताल प्रशासन मरीजों के इलाज के प्रति गंभीर और संवदेनशील नहीं है. वहीं वज्रपात से प्रभावित जरूरतमंद मरीज सागर का इलाज कराने पहुंचे सदर विधायक मीडिया प्रतिनिधि रंजन ने इस मामले को लेकर गुरुवार की रात्रि को ही सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और हजारीबाग डीसी नैंसी सहाय को ट्वीट पर इसकी शिकायत करते हुए तत्काल संज्ञान लेते हुए जनहित में व्यवस्था सुधार कराने की मांग की. इस पर संज्ञान लेते हुए डीसी नैंसी सहाय ने ट्वीट कर बताया कि मामले को संज्ञान में लिया गया है. जल्द ही दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. दूसरी ओर विधायक मनीष जायसवाल ने अस्पताल प्रबंधन को यथाशीघ्र जनहित में व्यवस्था में सुधार करने का अल्टीमेटल देते हुए कहा कि जनता का गुस्सा अगर फूटा तो व्यापक आंदोलन होगा. इसे भी पढ़ें- ममता">https://lagatar.in/mamta-banerjee-met-pm-modi-news-of-discussion-on-other-issues-including-gst-arrears/">ममताबनर्जी पीएम मोदी से मिलीं, GST बकाया समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा होने का खबर इस मामले पर सदर अस्पताल और शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्रबंधक मो. शहनवाज ने कहा कि पांच साल पहले लगाया गया 63 केबी की सोलर लाइट काम नहीं कर रही है. जेरेडा ने मेंटनेंस की बात कही थी. सारा कुछ आउटसोर्सिंग के माध्यम से किया गया था, जिसके इकरारानामे की अवधि खत्म हो चुकी है. इसके लिए नए सिरे से टेंडर निकाला जाएगा. हालांकि जेनरेटर होने की बात पर उन्होंने मामले को डिप्टी सुपरिंटेंडेंट से बात करने की बात कह टाल दिया. डिप्टी सुपरिंटेंडेंट एके सिंह ने कहा कि जेनरेटर स्टार्ट करने में जितना वक्त लगा, उतनी ही देर ट्रामा सेंटर में अंधेरा था. यह मामला पांच से दस मिनट का था. अस्पताल में रोशनी की पर्याप्त सुविधा है. इसे भी पढ़ें- मोदीजी">https://lagatar.in/modiji-walk-slowly-there-are-big-dangers-in-this-path-of-politics/">मोदीजी
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