दिसंबर तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग इंडेक्स 56.3 पर रहा
नये ऑर्डर और सेल्स में कम होने के कारण PMI इंडेक्स में गिरावट आयी है. तिमाही आधार की बात करें तो दिसंबर तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग इंडेक्स का औसत 56.3 रहा. यह वित्त वर्ष 2020-21 की मार्च तिमाही के बाद सबसे ज्यादा है.बता दें कि पीएमआई इंडेक्स जब 50 अंक से ऊपर होता है तो यह ग्रोथ यानी गतिविधियों में विस्तार को दिखाता है. वहीं यदि पीएमआई इंडेक्स 50 अंक के नीचे रहता है तो यह गिरावट यानी संकुचन को दर्शाता है. इसे भी पढ़े : यूपी">https://lagatar.in/dharampal-is-sweating-for-yogi-in-up-has-done-more-than-100-meetings-in-a-month/">यूपीमें योगी के लिए धर्मपाल बहा रहे पसीना, एक महीने में कर चुके हैं 100 से ज्यादा बैठकें
ओमिक्रॉन और अन्य फैक्टर्स का पड़ रहा मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी पर असर
कोरोना के नये वैरिएंट ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के कारण एकबार फिर सप्लाई चेन की समस्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. महंगाई भी चरम पर है. इन सभी चीजों का असर मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी पर हो रहा है. पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की आर्थिक सेहत को मापने का एक इंडिकेटर है. इसके जरिए किसी देश की आर्थिक स्थिति का आकलन किया जाता है. पीएमआई इंडेक्स को सेवा समेत अन्य निजी क्षेत्रों की अनेक गतिविधियों के आधार पर मापा जाता है. इसे भी पढ़े : ओमिक्रॉन">https://lagatar.in/to-avoid-omicron-include-these-7-superfoods-in-the-diet-immunity-will-be-strong/">ओमिक्रॉनसे बचने के लिए ये 7 सुपरफूड को डाइट में जरूर करें शामिल, इम्यूनिटी होगी स्ट्रांग
पीएमआई इन 5 कारकों पर होता है आधारित
पीएमआई 5 प्रमुख कारकों पर आधारित होता है. इन पांच प्रमुख कारकों में नये ऑर्डर, इन्वेंटरी स्तर, प्रोडक्शन, सप्लाई डिलिवरी और रोजगार वातावरण शामिल है. आमतौर पर बिजनेस और मैन्युफैक्चरिंग माहौल का पता लगाने के लिए ही पीएमआई का सहारा लिया जाता है. लेकिन पीएमआई का मुख्य मकसद इकोनॉमी के बारे में आधिकारिक आंकड़ों से पहले उपलब्ध कराना है. जिससे अर्थव्यवस्था के बारे में सटीक संकेत पहले ही मिल जाते हैं. इसे भी पढ़े : CMIE">https://lagatar.in/cmie-report-unemployment-rate-in-india-at-a-four-month-high-it-reached-close-to-10-percent-in-urban-areas/">CMIEरिपोर्ट : भारत में बेरोजगारी दर चार महीने के उच्चतम स्तर पर, शहरी क्षेत्रों में यह 10 फीसदी के करीब पहुंची [wpse_comments_template]