जनगणना अधिसूचना पर JMM का हमला, NPR को बताया ‘साजिश’

Ranchi: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के केंद्रीय महासचिव एवं प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने केंद्र सरकार पर जनगणना अधिसूचना को लेकर बड़ा हमला बोला है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने हाल ही में जारी जनगणना संबंधी अधिसूचना को "भ्रामक" और "राजनीतिक साजिश" करार दिया.
भट्टाचार्य ने कहा कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में जनगणना कार्य 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा, जबकि देश के अन्य हिस्सों में यह प्रक्रिया 1 मार्च 2027 से शुरू की जाएगी. 


जनगणना दो चरणों में की जाएगी — पहला, मकान आधारित गणना और दूसरा, व्यक्ति आधारित गणना. इसमें जनसांख्यिकीय और जातिगत आंकड़े एकत्र किए जाएंगे. पूरी प्रक्रिया डिजिटल होगी और एकत्रित डेटा को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) में दर्ज किया जाएगा.


उन्होंने जनगणना के समय-निर्धारण को “नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023” के कार्यान्वयन में एक बाधा बताया. भट्टाचार्य ने कहा कि जब 2029 के आम चुनाव जनवरी से पहले घोषित होंगे और आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी, उस समय तक जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया अधूरी रहेगी. इसका मतलब है कि महिलाओं को 33% आरक्षण देने वाला यह कानून एक बार फिर टल जाएगा..


उन्होंने इस प्रक्रिया को “प्रलोभन देकर थाली खींच लेने” जैसा बताया और सवाल उठाया कि अब तक NPR का फॉर्मेट सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह “डिजिटल जनगणना” एक सुनियोजित रणनीति है, जिसका उद्देश्य विशेष वर्गों, धर्मों और जातियों को लक्षित करना है.
कहा कि यह एक तरह की 'पॉपुलेशन हैकिंग' की योजना है, जो आदिवासी, दलित, ईसाई और मुस्लिम समुदायों के लिए गंभीर खतरा बन सकती है, उन्होंने यह भी मांग की कि केंद्र सरकार स्पष्ट करे कि क्या इस जनगणना में ‘सारण धर्म कोड’ को शामिल किया जाएगा या नहीं.


प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में उन्होंने चेतावनी दी, NPR और डिजिटल जनगणना के माध्यम से भाजपा एक ऐसा दस्तावेज़ तैयार कर रही है, जो देश के आम नागरिकों की पहचान को संकट में डाल सकता है. एक दिन ऐसा भी आ सकता है, जब एक हिंदुस्तानी को खुद को हिंदुस्तानी साबित करने के लिए दर-दर भटकना पड़े.