दिन भी एसबीएम कर्मियों की जारी रही हड़ताल, प्रार्थना सभा की मनोज झा ने कहा कि शायद कुणाल षाड़ंगी ने कोरोना के कहर को करीब से नहीं अनुभव किया है. कोरोना के कहर में एमजीएम अस्पताल और सदर अस्पताल ने निजी अस्पतालों से बेहतर सेवा प्रदान की. निःसंदेह अगर कोई लापरवाही हुई है तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए. किसी की जान गई है तो ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बात है, परन्तु मानवीय मूल्यों पर और किसी की मौत पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.
एमजीएम अस्पताल : भाजपा-कांग्रेस नेताओं में वाकयुद्ध शुरू, कुणाल पर मनोज झा का पलटवार
Jamshedpur : एमजीएम अस्पताल की व्यवस्था और चिकित्साकर्मियों की लापरवाही के मामले में भाजपा नेता सह पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी के स्वास्थ्य मंत्री पर वार का सोमवार को कांग्रेस नेता मनोज झा ने पलटवार किया. जिला कांग्रेस के वरीय महासचिव मनोज झा ने कहा कि झारखंड में भाजपा की सरकार ने कई वर्षों तक शासन किया. झारखंड के प्रथम स्वास्थ्य मंत्री डॉ दिनेश षाड़ंगी (कुणाल के पिता) थे. बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा और रघुवर दास मुख्यमंत्री रहे, लेकिन एमजीएम अस्पताल की व्यवस्था में सुधार की दिशा में प्रयास नहीं किया. एमजीएम हॉस्पिटल की व्यवस्था दिन-प्रतिदिन चरमराती गई और भाजपा नेताओं के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. विधायक रहते कुणाल षाड़ंगी कितनी बार एमजीएम अस्पताल की व्यवस्था में सुधार के लिए उन्होंने प्रयास किया या आवाज उठाई. उन्होंने कहा कि कोल्हान के एकमात्र सरकारी अस्पताल में आम जनता अपना इलाज करवाती है. वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री के पदभार संभाले मात्र दो वर्ष हुए हैं परन्तु उनकी प्रगतिशील विचार और तत्परता से एमजीएम हॉस्पिटल में सुधार जारी है. इसे भी पढ़ें : 42वें">https://lagatar.in/sbm-personnels-strike-continued-on-42nd-day-prayer/">42वें
दिन भी एसबीएम कर्मियों की जारी रही हड़ताल, प्रार्थना सभा की मनोज झा ने कहा कि शायद कुणाल षाड़ंगी ने कोरोना के कहर को करीब से नहीं अनुभव किया है. कोरोना के कहर में एमजीएम अस्पताल और सदर अस्पताल ने निजी अस्पतालों से बेहतर सेवा प्रदान की. निःसंदेह अगर कोई लापरवाही हुई है तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए. किसी की जान गई है तो ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बात है, परन्तु मानवीय मूल्यों पर और किसी की मौत पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.
दिन भी एसबीएम कर्मियों की जारी रही हड़ताल, प्रार्थना सभा की मनोज झा ने कहा कि शायद कुणाल षाड़ंगी ने कोरोना के कहर को करीब से नहीं अनुभव किया है. कोरोना के कहर में एमजीएम अस्पताल और सदर अस्पताल ने निजी अस्पतालों से बेहतर सेवा प्रदान की. निःसंदेह अगर कोई लापरवाही हुई है तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए. किसी की जान गई है तो ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बात है, परन्तु मानवीय मूल्यों पर और किसी की मौत पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.