Ranchi : वन निगम के रेंजर प्रिंस ने सिमडेगा पश्चिमी, सिमडेगा पूर्वी व गुमला प्रक्षेत्र में बीड़ी पत्तों का अवैध कारोबार करक करोड़ों रुपये का घोटाला किया है. इन इलाकों में वही होता था जो रेंजर प्रिंस चाहता था. शत्रुघ्न के साथ रेंजर प्रिंस की बातचीत का ऑडियो रिकॉर्डिंग सुनने से यही पता चलता है कि वन निगम में खाता ना बही, रेंजर प्रिंस जो कहे, वही कायदा-कानून.
रेंजर प्रिंस झारखंड वन विभाग में सिमडेगा पश्चिमी, सिमडेगा पूर्वी और गुमला प्रक्षेत्र के प्रभार में है. रेंजर प्रिंस के इशारे पर एक ही परिवहन परमिट पर कई ट्रकों से बीड़ी पत्ता के बोरों को ढ़ोये जाने का काम किया गया है. यह काम कई सालों से किया जा रहा है.
वर्ष 2024 में कोनपाला लॉट में 2894 बोरा बीड़ी पत्ता का संग्रहण हुआ था. गोदाम तक इन सभी बोरों की ढ़ुलाई एक ही परिवहन परमिट (टीपी) पर किया गया. बीड़ी पत्ता के बोरों को गोदाम तक पहुंचाने के बाद कागज पर 18 परिवहन परमिट दिखाया गया.
इससे स्पष्ट है कि ट्रकों का फर्जी नंबर का इस्तेमाल कर बीड़ी पत्ता का ढ़ुलाई दिखाया गया. यह काम सालों से चल रहा है. अगर टीपी बुक की जांच की जाए तो तीनों वन प्रक्षेत्रों में हुआ बड़ा घोटाला सामने आयेगा.
शत्रुघ्न और रेंजर प्रिंस की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग में मधु गुप्ता का नाम आया है. रेंजर प्रिंस शत्रुघ्न से कह रहा है कि बैंक में 36000 रुपया जमा करना है. पैसा जमा करने वाले का नाम की जगह पर मधु गुप्ता का नाम लिखना है. यह रकम 1500 रुपया प्रति माह के हिसाब से 24 महीने के लिए थी. हालांकि बातचीत से यह स्पष्ट नहीं है कि रुपये किस काम के बदले दिया जा रहा है, वह भी बैंक एकाउंट में.
नक्सलियों तक पैसा पहुंचाने का आरोप
झारखंड में कई कोयला ट्रांसपोर्टरों और ठेकेदारों को इस आरोप में जेल जाना पड़ा कि उन्होंने नक्सलियों-उग्रवादियों को रुपये दिए. लेकिन रेंजर प्रिंस पर कार्रवाई नहीं हुई. उसे क्लिनचिट मिल गयी. प्रिंस वन निगम के सरायकेला प्रक्षेत्र में पदस्थापित थे.
उस समय उन पर अवैध बीड़ी पत्ता कारोबार करने के बदले उग्रवादियों को रुपया पहुंचाने का आरोप लगा था. चाईबासा के तत्कालीन डीसी ने इसकी जांच करायी थी. बाद में प्रिंस ने अपनी पहुंच का इस्तेमाल कर इन आरोपों से खुद को बरी करा लिया.
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