लखनऊ मिलिट्री इंटेलिजेंस की सूचना पर रांची पुलिस ने बरामद किए सेना के फर्जी स्टाम्प

Ranchi : भारतीय सेना का फर्जी मुहर बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है. रांची पुलिस ने कार्रवाई करते हुए बिहार के कैमूर निवासी सर्वेश सिंह और रांची के पीपी कंपाउंड निवासी आशीष दास को गिरफ्तार किया है. सोमवार को एसएसपी चंदन सिन्हा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि गुप्त सूचना प्राप्त हुई कि मिलिट्री हॉस्पीटल नामकुम के परिसर में राठौर जनरल स्टोर, नामक एक फर्जी संस्था के माध्यम से भारतीय सेना के उच्च अधिकारियों के स्टाम्प बनाकर फर्जीवाडा किया जा रहा है.

 

मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए नामकुम थाना से एक पुलिस टीम का गठन किया गया. सूचना का सत्यापन के क्रम में मिलिट्री हॉस्पीटल नामकुम परिसर में स्थित राठौर जनरल स्टोर के दुकान से सेना के विभिन्न पदाधिकारी के नाम से बना हुआ भारी मात्रा में रबर स्टाम्प, एक पोको कम्पनी का मोबाइल, एक सादा कागज पर मोहर बनाने का नमुना और दुकानदार को स्टाम्प मुहर बनाने के लिए दिया गया वाट्सअप का स्क्रीन शॉट बरामद किया गया.
गिरफ्तार अभियुक्त द्वारा अपना अपराध स्वीकार किया गया है. पूछताछ के क्रम में यह ज्ञात हुआ कि सर्वेश कुमार सिंह के द्वारा प्रायः नामकुम मिलिट्री स्टेशन के पदाधिकारियों का कार्यालयी मुहर बनवाये जाते थे और यह कार्य उनके द्वारा विगत चार वर्षों से किया जा रहा था. रांची पुलिस द्वारा इस घटनाक्रम में अन्य व्यक्तियों की संलिप्तता की बिन्दु पर भी छानबीन की जा रही है.

 

लखनऊ मिलिट्री इंटेलिजेंस की विशेष सूचना के आधार पर 16 जून 2025 को सुबह करीब 10:15 बजे रांची पुलिस ने सेना से संबंधित फर्जी रबर स्टाम्प बरामद किए. यह कार्रवाई नामकुम थाना पुलिस की टीम द्वारा मिलिट्री अस्पताल, नामकुम के पास स्थित एक जनरल स्टोर पर छापेमारी के दौरान की गई.

 

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मिलिट्री इंटेलिजेंस से प्राप्त इनपुट के अनुसार, उक्त जनरल स्टोर में भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के नाम से फर्जी रबर स्टाम्प बनाए जा रहे थे, जिनका अवैध रूप से उपयोग किया जा रहा था. सूचना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस और मिलिट्री इंटेलिजेंस की संयुक्त टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए छापेमारी की

 

छापेमारी के दौरान जनरल स्टोर से कुल 47 फर्जी रबर स्टाम्प, प्री-इंक्ड फ्लैश स्टाम्प और अन्य संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए गए. इन स्टाम्पों पर भारतीय सेना के उच्च पदस्थ अधिकारियों के नाम अंकित थे, जिनका संभावित उपयोग धोखाधड़ी या जालसाजी में किया जा सकता था.

 

पुलिस ने जब्त सामग्रियों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है और मामले की गहन जांच जारी है. इस पूरे प्रकरण में शामिल व्यक्तियों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.