Lagatar Desk : मध्य पूर्व में जारी युद्ध के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच 35 मिनट तक फोन पर बातचीत हुई है. इस दौरान दोनों नेताओं के बीत ऑपरेशन सिंदूर पर विस्तार से बात की गयी. साथ ही ईरान-इजराइल युद्ध, भारत-पाक संबंध और रूस-यूक्रेन संघर्ष जैसे वैश्विक मसले भी चर्चा की गयी. यह बातचीत ऐसे समय में हुई है, जब दोनों नेताओं की मुलाकात कनाडा में G7 शिखर सम्मेलन के दौरान तय थी, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप की अमेरिका वापसी के चलते मुलाकात संभव नहीं हो पाई. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस बात की जानकारी दी.
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ट्रंप ने मोदी से बात करने की जताई थी संवेदना
विक्रम मिस्री ने बताया कि G7 शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की मुलाकात तय थी. लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप को जल्दी ही अमेरिका लौटना पड़ा, जिसके कारण यह मुलाकात नहीं हो सकी. इसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप के अनुरोध पर आज दोनों नेताओं ने फोन पर करीब 35 मिनट तक बात की. बताया कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी से फोन पर बात कर संवेदना जताई थी और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में समर्थन भी जताया था. उसके बाद यह पहली बार था जब वे बात कर रहे थे. इसलिए प्रधानमंत्री मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर पर राष्ट्रपति ट्रंप से विस्तार से बात की.
#WATCH विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, "G7 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की मुलाकात तय थी। राष्ट्रपति ट्रंप को जल्दी ही अमेरिका लौटना पड़ा, जिसके कारण यह मुलाकात नहीं हो सकी। इसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप के अनुरोध पर आज दोनों नेताओं ने फोन पर बात की।… pic.twitter.com/ItsuF25Hen
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 18, 2025
मध्यस्थता पर भारत की दो टूक, न मानी थी, न मानेंगे
विक्रम मिस्री ने साफ किया कि पीएम मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप से बातचीत में यह स्पष्ट कर दिया कि भारत-अमेरिका के बीच न तो किसी व्यापार समझौते पर बात हुई, और न ही भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता पर कोई चर्चा. प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि सीजफायर की प्रक्रिया पाकिस्तान की सेना के अनुरोध पर और दोनों देशों के सैन्य संपर्क चैनल के जरिए हुई, अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी. पीएम मोदी ने दोहराया कि भारत ने कभी किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की, और न ही करेगा.
#WATCH विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप से साफ कहा कि इस पूरी घटना के दौरान भारत-अमेरिका व्यापार समझौते और अमेरिका की ओर से भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता को लेकर किसी भी स्तर पर बातचीत नहीं हुई। सैन्य कार्रवाई रोकने के बारे में बातचीत भारत… pic.twitter.com/jlRYI97OMp
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 18, 2025
ट्रंप ने अमेरिका आने का दिया आमंत्रण, पीएम मोदी ने किया इनकार
राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी से कहा कि क्या वह कनाडा से लौटते समय अमेरिका होकर मिल सकते हैं. लेकिन प्रधानमंत्री ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों का हवाला देते हुए असमर्थता जताई. हालांकि दोनों नेताओं ने भविष्य में मिलने पर सहमति जताई. इसके साथ ही, पीएम मोदी ने QUAD की अगली बैठक के लिए राष्ट्रपति ट्रंप को भारत आने का न्योता दिया, जिसे ट्रंप ने स्वीकार करते हुए कहा कि वे भारत यात्रा को लेकर उत्सुक हैं.
#WATCH विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा कि क्या वे कनाडा से लौटते समय अमेरिका में रुकेंगे। पूर्व प्रतिबद्धताओं के कारण प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसा करने में असमर्थता जताई। दोनों नेताओं ने तय किया कि वे निकट भविष्य में मिलने की कोशिश… pic.twitter.com/GGdDV94T1J
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 18, 2025
ईरान-इजराइल युद्ध और वैश्विक संकटों पर भी चर्चा
बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने ईरान और इजराइल के बीच जारी युद्ध पर भी चर्चा की और चिंता जाहिर की कि अगर हालात पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह टकराव वैश्विक स्तर पर गंभीर संकट में बदल सकता है. इसके साथ ही रूस-यूक्रेन संघर्ष को लेकर भी दोनों नेताओं ने चर्चा की और शांति स्थापना के प्रयासों पर काम करने की सहमति दी.
राष्ट्रपति ट्रंप व पीएम मोदी के बीच बातचीत के प्रमुख बिंदु :
- ऑपरेशन सिंदूर पर पीएम मोदी ने ट्रंप को दी विस्तृत जानकारी, कहा- आतंक के खिलाफ भारत की जंग जारी.
- अमेरिका की मध्यस्थता से इनकार : भारत ने कहा- सीधी सैन्य बातचीत से सीजफायर संभव हुआ.
- भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर कोई चर्चा नहीं हुई.
- ट्रंप के अमेरिका बुलावे को पीएम ने ठुकराया, कहा- पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों में व्यस्त हूं.
- QUAD बैठक के लिए ट्रंप को भारत आमंत्रण, जिसे उन्होंने स्वीकार किया.
- ईरान-इजराइल युद्ध पर चिंता, संयम और कूटनीति पर जोर.
- रूस-यूक्रेन संघर्ष में शांति बहाली के प्रयासों को समर्थन.