एक बार फिर से गर्व करिये हम जिन्हें दुत्कारते रहें, उनकी जिंदगी हमसे बेहतर हो चली

Surjit Singh

नरेंद्र मोदी, भाजपा और उनके समर्थकों को छोड़ देश के तमाम विपक्षी दलों और लोगों को भ्रष्ट, देशद्रोही व निकम्मा मानने वालों को इस सत्य पर गर्व करना चाहिये. उन्हें इस बात पर भी गर्व करना चाहिये कि जिन्हें हम पिछले सात सालों से बस दुत्कारते रहें, गरीब और भीखमंगा समझते रहे, उनकी जिंदगी अब हमसे बेहतर हो चली है. जी हां. खबर यह है कि बंग्लादेश में प्रति व्यक्ति आय भारत से ज्यादा हो गयी हैं. पिछले सात साल में वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, पेशेवरों की उपलब्धि को मोदी की उपलब्धि बताकर-मानकर गर्व करने वाले इस खबर पर भी गर्व कर सकते हैं.

ताजा आंकड़े के मुताबिक भारत में प्रति व्यक्ति आय 1947.417 डॉलर है. जबकि बंग्लादेश का प्रति व्यक्ति आय 2,227 डॉलर हो गया है. कल बंग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मीडिया से बात करते हुए इसकी घोषणा की. उन्होंने बताया कि पिछले वित्त साल 1919-20 में बंग्लादेश का प्रति व्यक्ति आय 2064 डॉलर था. वित्त वर्ष 2020-21 में 9 प्रतिशत बढ़ कर यह 2227 डॉलर प्रति व्यक्ति हो गया है. इस आय को बढ़ाने में उस गारमेंट इंडस्ट्री की सबसे बड़ी भूमिका है जिसमें चार सालों पहले तक भारत का एकक्षत्र राज था.

बंग्लादेश में यह सब कैसे संभव हुआ ? सरकारी स्तर पर देश में नफरत के वातावरण को कमजोर करने की कोशिशों, मजदूरों को प्रोत्साहित करने, मजदूरों के मन में जोश बढ़ाने और निर्यात को बढ़ावा देने की बदौलत. नफरत के माहौल को कम किये बिना किसी भी देश में निवेश की उम्मीद करना बेकार होता है.

बंग्लादेश, वह राष्ट्र है, जो भारत की मदद से अलग हुआ. भारत की मदद से आगे बढ़ा और आज हमसे आगे निकल गया है.

आपको याद होगा पिछले साल जब गृहमंत्री अमित शाह ने एनआरसी की बात करते हुए कहा था कि बंग्लादेशियों को बाहर किया जायेगा, तब बंग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने क्या कहा था. वह अपने देश के लोगों को वापस लेने के तैयार हैं, भारत सरकार लिस्ट दे. जिसके बाद भारत सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया.

एक बात और गौर करिये. देश के लोग गरीब होते जा रहे हैं, लेकिन देश के कुछ लोग और ज्यादा अमीर होते जा रहे हैं. कल ही यह खबर आयी थी कि मोदी के मित्र कहे जाने अडानी दुनिया के टॉप के 10 अमीरों के ग्रुप में शामिल हो गये हैं.

दरअसल, पिछले सात सालों में हमने यही किया है. हिन्दु-मुस्लिम व मंदिर-मस्जिद के नाम पर लोगों के बीच नफरत फैलाने, चुनिंदा कारपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने वाली नीतियां बनाने, प्रचार और इमेज बनाने, तमाम संस्थाओं को खत्म करने, मीडिया व सोशल मीडिया के जरिये लोगों तक गर्व करने वाली झूठी खबरें  फैलाने में लगे रहें. तो मिलेगा भी यही ना. इसलिये जरुरत है कि मोदी सरकार देश के लोगों के बारे में सोंचे. देश की तरक्की के लिये नीतियां बनायें.

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