Ranchi: आज से माहे रमज़ान के महीने की शुरूआत हो रही है. जो लगभग तीस दिनों तक चलेगी. रमज़ान को लेकर मुस्लिम धर्मावलंबियों ने खास तैयारी की है. इसी के साथ एक महीने तक सहरी और इफ्तार का सिलसिला चालू हो जाएगा. इतनी जबरदस्त गर्मी में भूखे-प्यासे रहकर इस्लाम की राह पर चलना कोई आसान काम नहीं होता. लेकिन मुस्लिम धर्मावलंबियों ने आज से ही रोजा रखना शुरू कर दी है. साथ ही गला सुखाने वाली इस गर्मी में भूखे-प्यासे रहकर खुदा की इबादत करने में मशगूल हो गए हैं.
रमज़ान में तरावीह की नमाज पढ़ना है बेहद जरूरी
रमजान के ठीक पहले मंगलवार की शाम से खास तरावीह की नमाज शुरू हो जाती है. इसके लिये मस्जिदों की साफ-सफाई व धुलाई करायी जाती है. इसके अलावा कई अन्य जगह पर भी नमाज का इंतजाम किया जाता है. तरावीह की नमाज में पूरे कुरआन की 30 आयतों को पढ़ाया जाता है. इस्लाम के अनुसार ऐसा करना सुन्नत माना जाता है. रमजान की पहली सहरी का अंतिम समय बुधवार की सुबह को 4:12 बजे, जबकि पहले रोजा की इफ्तार शाम 6:15 बजे होगी.
क्या कहना हैं मुस्लिम भाई-बहनों का
कर्बला चौक की रहने वाली वाज़दा खातुन ने बताया कि रमजान में सहरी और इफ्तार के लिए स्पेशल खाद्य सामग्री इस्तेमाल की जाती है. जैसे सहरी में फिरनी, खजला, शीरमाल, बकरखनी व दूध से बने खाद्य आदि और इफ्तार में खजूर सबसे खास होता हैं. चना, फुलकी आदि बनाए जाते हैं. साथ ही माहे रमजान में फलों की रोजेदार जमकर खरीदारी करते हैं.
शाहिद अख्तर का कहना है कि रमजान के 30 रोजा करना हर मुसलमान का फर्ज है कुछ परिस्थितियों को छोड़कर. इस महीने में रोजा रखने के साथ ज्यादा से ज्यादा इबादत करनी चाहिए. माहे रमज़ान में इबादत में मांगी हुई मन्नत पूरी हो जाती है.
इस्लामिक माह का नवां महीना है रमजान
माह-ए-रमजान इस्लामिक माह का नौंवा महीना है, जो कि इस्लाम में सबसे पवित्र माना गया है. इसी माह में कुरआन नाजिल हुआ था. मतलब आसमान से उतरा था. 30 और 29 दिन के रोजे (चांद की स्थिति के मुताबिक) अगले दिन ईद मनाई जाती है. यह मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार है. इसमें 30 दिन तक रोजा रखने की इबादत करना होता है.