भीड़ में महज 700 जर्नल्स ही सही : प्रो सुमित
प्रो. सुमित नरूला ने रिसर्च पेपर्स को प्रकाशित करने और ठगी करने वाले ऑनलाइन जर्नल्स के बारे में बताया. कहा कि हजारों जर्नल्स की भीड़ में महज 700 जर्नल्स ही सही हैं. इन सही और वैध जर्नल्स के भी क्लोन और नकली जर्नल्स इंटरनेट पर उपलब्ध हैं, जो भारतीय रिसर्च स्कॉलरों और शोधार्थियों के साथ ठगी कर रहे हैं. रिसर्च स्कॉलर भी जल्दी से पेपर प्रकाशित करवाने के लालच में इन फेक जर्नल्स के झांसे में आ जाते हैं. उन्होंने कई टिप्स दिये और ऑनलाइन चेक करके दिखाया कि कैसे इन फेक ऑनलाइन जर्नल्स की पहचान की जा सकती है.रिसर्च को सिर्फ खानापूर्ति समझ कर न करें : डॉ रमेश शरण
दूसरे सत्र में झारखंड के अर्थशास्त्री और बिनोवा भावे विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रमेश शरण ने कहा कि आपके शोध का उद्देश्य बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिये. हम सभी रिसर्च को सिर्फ खानापूर्ति समझ कर न करें. रिसर्च मेथॉडोलॉजी को हम दरकिनार करके शोध को पूर्ण नहीं कर सकते. डॉ. शरण ने शोध के लिए लिटरेचर को सबसे महत्व पूर्ण बताया. शोध का दायरा इंटर डिसिप्लीनरी होने चाहिये. उन्होंने कहा कि मैंने स्वयं इकोनॉमिक्स का छात्र होकर कॉमर्स में पीएचडी किया है.ये रहे शामिल
डॉ आशीष झा, कुलसचिव डॉ मुकुंद चंद्र मेहता, डॉ जीएस झा, सीसीडीसी डॉ पीके झा, एफओ डॉ एलएकेएएन शाहदेव, डॉ. आरके शर्मा, विभिन्न विभागों के हेड, डीन, प्राध्यापक और सैकड़ों छात्र व रिसर्च स्कॉलर उपस्थित थे. इसे भी पढ़ें – IAS">https://lagatar.in/single-bench-order-of-cbi-probe-against-ias-vandana-dadel-quashed-by-double-bench-of-high-court-lagatar/">IASवंदना दाडेल के खिलाफ CBI जांच के एकल पीठ के आदेश को हाईकोर्ट के डबल बेंच ने किया रद्द [wpse_comments_template]