रांची विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय एवं जनजातीय विभाग की स्थिति बदहाल

Ranchi : साल 2021 में कोरोना महामारी के मद्देनजर कई विश्वविद्यालयों  में नामांकन की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन की गई है. इस वजह से सैकड़ों विद्यार्थी नामांकन से वंचित रह गए. इसका असर रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय भाषा विभाग में सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है.

इस विभाग में पढ़ने वाले विद्यार्थी जनजातीय क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं. इस वर्ष नामांकन ऑनलाइन होने के कारण वैसे सभी विद्यार्थी नामांकन प्रक्रिया से वंचित रह गये हैं. बहुत से छात्रों ने इस लिए भी नामांकन नहीं करवाया, क्योंकि क्लासेस और परीक्षा ऑनलाइन होने की उम्मीद थी. उन छात्रों के पास टेक्नोलॉजी की कमी होने के कारण वो पढ़ाई नहीं कर पाते.

ऑनलाइन नामांकन की वजह से इस सत्र में कम छात्रों ने लिए एडमिशन

जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के शिक्षकों  की मानें तो इस विभाग में नामांकन लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या पहले की तुलना में काफी कम है, जिसका सबसे बड़ा कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों को इस साल नामांकन लेने में काफी परेशानी हुई है, यहां तक कि उनका पठन-पाठन भी सही तरीके से नहीं हो रहा है, विद्यार्थी भी ऑनलाइन पठन-पाठन को सुचारू तरीके से चलाने की मांग विभाग और विश्वविद्यालय से कर रहे हैं, कोरोना का असर विश्वविद्यालय के इस विभाग पर खासा पड़ा है.

खोरठा और हो भाषा की स्थिति सबसे खराब

आरयू में खोरठा और हो भाषा की स्थिति भी काफी खराब है. विश्वविद्यालय में हो भाषा का वर्तमान में 4 घंटी आधारित शिक्षक हैं. इस वर्ष सिर्फ 3 विद्यार्थियों ने ही नामांकन लिया है. वहीं खोरठा में 3 शिक्षक हैं और नामांकन सिर्फ 10 विद्यार्थियों ने लिया है. कुरमाली में 2 शिक्षक हैं और 9 विद्यार्थियों का नामांकन हुआ है. खड़िया में 2 शिक्षक हैं और नामांकन 3 विद्यार्थियों ने लिया है.

किस विभाग में हैं कितने छात्र

नागपुरी -30

कुडुख - 50

मुंडारी- 9

खड़िया- 3

संताली- 2

खोरठा- 10

पंच परगनिया -10

कुरमाली -10