Ranchi : कोरोना ने लोगों को एक दूसरे से दूर कर दिया है. कोरोना संक्रमित व्यक्ति के मौत के बाद तो कई लोग अपने परिजन के शव को छोड़ कर चले जा रहे हैं। मनुष्य के सामाजिक प्राणी होने का दम्भ भरने वाले इस सभ्य समाज को कोरोना ने असभ्य बना दिया है. विकट परिस्थितियों के बावजूद भी कुछ ऐसे योद्धा है जो दिन रात लोगों की सेवा में जुटे हुए हैं. इन्हीं योद्धा में से एक हैं शम्भू रवानी
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पिछले डेढ़ साल से सामाजिक संस्था के लिए चला रहे हैं एम्बुलेंस
रांची की एक संस्था जिंदगी मिलेगी दुबारा इस वक्त कोरोना संक्रमित मरीजों को अस्पताल पहुंचाने का काम कर रही है. अस्पताल से कोरोना को मात देकर निकलने वाले मरीजों को भी यह संस्था घर तक पहुंचाने का काम करती है. वही कोरोना मृत हुए लोगों को श्मशान और कब्रिस्तान भी नि: शुल्क पहुंचा रही है. इसी एंबुलेंस के चालक हैं शंभू रवानी. शम्भू बोकारो जिले के बेरमो सुभाष चौक के रहने वाले हैं. पिछले डेढ़ सालों से कोरोना संक्रमित मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं.
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आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से काम कर रहे विजय केरकेट्टा
जी अलर्ट आउटसोर्स एजेंसी का काम कर रहे विजय केरकेट्टा सदर अस्पताल में आने वाले कोविड मरीजों को व्हीलचेयर और स्ट्रेचर उपलब्ध कराते है. विजय कहते हैं कि पिछले 2 महीने से इस काम में लगा हुआ हूं. रांची के कोकर गितिल कोचा के रहने वाले विजय महज साढ़े सात हजार की नौकरी करते हैं. उन्होंने कहा कि जब मरीज ठीक होकर अस्पताल से जाते हैं तो उन्हें बहुत खुशी मिलती है.
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पति-पत्नी करते हैं सदर अस्पताल में सफाई का काम
विजय लकड़ा और उनकी पत्नी सीमा लकड़ा के कंधों पर सदर अस्पताल की साफ-सफाई की जिम्मेवारी है. दोनों पिछले 1 महीने से अपनी सेवा अस्पताल में दे रहे हैं. कोविड वार्ड से लेकर अस्पताल के मेन गेट तक इन्हें सफाई करते हुए अकसर देखा जाता है.
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एक सप्ताह में कोरोना को मात देकर स्वास्थ्य हुई 74 वर्षीय महिला
रांची कडरू की रहने वाली 74 वर्षीय अरुणा सहाय के चेहरे पर मुस्कान है. उन्हें खुशी इस बात की है वो महज एक सप्ताह में स्वास्थ्य होकर लौट रही है. उन्होंने कहा कि 25 अप्रैल को कोरोना संक्रमित हुई थी. सांस लेने में परेशानी के बाद सदर अस्पताल में भर्ती हुई. आज स्वस्थ्य होकर लौट रही हैं. उन्होंने कहा कि यहां के डॉक्टरों ने सेवा भाव के साथ काम किया है. जिसका परिणाम है कि मैं आज घर लौट रही हूं.