इतिहास में तिरस्कृत आदिवासी योगदान
Vivek Aryan ‘गांधी और तिलक के स्वराज की अवधारणा दरअसल आदिवासी जनजीवन से अवतरित है’. ऐसा कहना इसलिए उचित है, क्योंकि गांधी या तिलक से बहुत पहले ही जंगल और बीहड़ में रहने वाले आदिवासियों ने न सिर्फ स्वराज के लिए दर्जनों लड़ाइयां लड़ीं, बल्कि स्वराज की भावना को मुख्यधारा तक पहुंचाया भी. यह भी … Continue reading इतिहास में तिरस्कृत आदिवासी योगदान
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