हम जागेंगे तो नाचेंगे की सार्थकता

Dr. Mukund Ravidas “जे नाची से बाची” यह कथन झारखंडियों की जुबान पर तो है ही, साथ ही साथ ढोल मांदर की थाप, दूर से बजते नगाड़े की धुन और मधुर स्वर में बांसुरी बजाते हुए घुंघराले लंबे बालों वाले राम दयाल मुंडा की छवि आज भी लोगों के हृदय में बसी हुई है. डॉ. … Continue reading हम जागेंगे तो नाचेंगे की सार्थकता