रजनी मुर्मू के स्त्रीवादी विचारों से आदिवासी समाज में बेचेनी क्यों ?

Faisal Anurag एक समय था जब हूल और उलगुलान के महानयकों सिदो कानू और बिरसा मुंडा ने न केवल सांस्कृति—राजनैतिक अस्मिता और स्वायत्तता के लिए संघर्ष का नेतृत्व किया बल्कि आदिवासी समाज में घुस आयी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ सांस्कृतिक आत्मालोचना और सुधार का आह्वान किया. बिरासाइतो का पूरा फलसफा हो या होड़ सफा का … Continue reading रजनी मुर्मू के स्त्रीवादी विचारों से आदिवासी समाज में बेचेनी क्यों ?