Ranchi: संथाल समाज धार्मिक धरोहर विरासत में प्राप्त मरांग बुरू पारसनाथ पर्वत के सरंक्षण, सुरक्षा और प्रथागत अधिकार को अक्षुण्ण बनाए रखने के पर्वत पर अवैध तरीके से किए गए जैन समाज के विरोध में 12 मार्च को प्रतिशोध मार्च मधुबन फुटबॉल मैदान से दिशोम मांझी धान तक निकालेगी. सोमवार को अतिथिशाला में हुई बड़े स्तर पर बैठक के दौरान यह फैसला लिया गया. इसमें राज्य भर से गिरिडीह, हजारीबाग, संथाल परगना, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, कोल्हान समेत अन्य राज्यों के धार्मिक अगुवा मौजूद थे.
इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि पारसनाथ पर्वत को बचाने के लिए राज्य भर से हजारों की संख्या में आदिवासी समाज शामिल होंगे. सभी लोग अपने पारंपरिक, वेशभूषा, पारंपरिक हथियार तीर धनुष, सरना झंडा पकड़े हुए जुलूस में शामिल होंगे. क्योंकि आदिवासी संथाल समाज का धार्मिक स्थल है. इस पर जैन समुदाय अवैध तरीके से कब्जा करने का प्रयास कर रहा है. बैठक में फागू बेसरा, राम लाल मुर्मू, महेश मारंडी, दुर्गा चरण मुर्मू, विष्णु किस्कू, शंकर सोरेन, जसाय मरांडी, प्रदीप सोरेन, पन्नालाल मुर्मू व अन्य शामिल थे.
आठ प्रस्ताव किए गए पारित
-ब्रिटिश हुकूमत के समय जैन समुदाय के दावे को खारिज किया जा चुका है.
-1917 में भी अपील दायर को खारिज किया गया.
– पारसनाथ का प्राचीन नाम मरांग बुरू है.
-केंद्र सरकार और राज्य सरकार उच्च न्यायालय को गुमराह किया.
-संथाल समाज को पूजा पद्धति बलि प्रथा एवं सेंदरा प्रथा से वंचित करने का प्रयास किया जा रहा है.
-संथाल समाज हसताक्षेप याचिका दायर करेगी.
-उचच न्यायालय रांची 2004 के आदेश के अनुसार पहाड़ के चोटी पर 86 डीसमिल भू भाग पर जैन समुदाय को पूजा का छूट दिया गया है.
-वन विभाग के मिलीभगत से 50 से अधिक मठ मंदिर का निर्माण किया गया है.
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