SURJIT SINGH
भारतीय बाजार में हाहाकार मचा हुआ. शेयरों का कत्लेआम सितंबर 2024 से जारी है. शेयर बाजार 10 हजार अंक से अधिक टूट चुका है. निवेशकों के 78 लाख करोड़ डूब गये हैं. मुनाफा कमा रहे निवेशकों का प्रोर्टफोलियो घाटे में बदलता जा रहा है. शेयर बाजार का मार्केट कैप 5.14 ट्रिलियन (5.14 लाख करोड़) से घटकर 3.99 ट्रिलियन (3.99 लाख करोड़) पर पहुंच गया है.
भारत सरकार शेयर बाजार के लगातार ऊपर जाने को देश की तरक्की बताते रहे हैं. अब हर तरफ सन्नाटा है. एक खामोशी. बागो में जो बहार था, बसंत ऋतु में भी वह बाग पतझड़ जैसा दिख रहा है. क्यों हुआ. कैसे हुआ. कब तक जारी रहेगा गिरावट का सिलसिला.
शेयर बाजार सिर्फ गिर ही नहीं रहा. और भी बहुत कुछ हो रहा है. पर किसी को फर्क नहीं पड़ता. ताजा रिपोर्ट यह है कि एक्टिव डीमेट एकाउंट्स की संख्या भी तेजी से कम हो रही है. ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म Zerodha में एक्टिव अकाउंट 37000 कम हो गये हैं. इसी तरह UpStox में 28000 और 5paisa पर 21000 एक्टिव अकाउंट कम हो गये हैं. मतलब यह कि अकाउंट अब भी है, लेकिन वो एक्टिव नहीं है. उससे शेयरों की खरीद-बिक्री का काम बंद है.
बाजार में गिरावट का सबसे बड़ा कारण विदेशी निवेशकों का बाहर होना बताया जा रहा है. लेकिन यह स्थिति तो पिछले साल भर से है. करीब छह माह तक घरेलू इंवेस्टरों ने खूब पैसे लगाये. एक साल में करीब 22 अरब डॉलर रुपये का निवेश घरेलू निवेशकों ने किया है और बाजार को संभाला है. लेकिन अब इन घरेलू निवेशकों को भी डर सताने लगा है. भरोसा टूटने लगा है. अगर यह डर और बढ़ा और भरोसा डगमगाया, तो भगदड़ मचेगी और फिर बाजार को संभालना मुश्किल होगा. वैसे भी 12 माह का रिटर्न बहुत कम हो गया है.
बाजार के लगातार कमजोर होने की एक वजह डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति को भी बताया जा रहा है. वह भारत को लगातार नुकसान पहुंचाने वाले कदम उठा रहे हैं. यह वही ट्रंप हैं, जिनकी जीत के लिए भारत में कुछ लोगों ने पूजा-पाठ और हवन तक किया. अबकी बार ट्रंप सरकार तो सबको याद ही होगा. वहीं ट्रंप जब सत्ता में आये तो डर का माहौल बनने लगा है.