Ranchi/Delhi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति की बैठक में ज्ञानेश कुमार को देश का नया मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया. लेकिन नये सीईसी की नियुक्ति को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाये हैं. जिसको लेकर झारखंड के गोड्डा से बीजेपी सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने राहुल गांधी पर हमला बोला है.
निशिकांत दुबे ने एक्स पर राहुल गांधी की पोस्ट शेयर कर लिखा है कि सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को ? ऐलचा, बेलचा, चमचा को जिंदगी भर चुनाव आयुक्त बनाने वाली कांग्रेस मर्यादा की बात करती है, हे भगवान घोर कलयुग.
सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को ? ऐलचा,बेलचा,चमचा को ज़िंदगी भर चुनाव आयुक्त बनाने वाली कांग्रेस मर्यादा की बात करती है,हे भगवान घोर कलयुग https://t.co/m9CYzfAGdt
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) February 19, 2025
बता दें कि राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट शेयर कर मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाये हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव आयुक्त के चयन के दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन किया गया है. उन्होंने लिखा कि चुनाव आयुक्त का चयन करने के लिए समिति की बैठक के दौरान, मैंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को एक असहमति नोट प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया था कि कार्यकारी हस्तक्षेप से मुक्त एक स्वतंत्र चुनाव आयोग का सबसे बुनियादी पहलू चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनने की प्रक्रिया है.
During the meeting of the committee to select the next Election Commissioner, I presented a dissent note to the PM and HM, that stated: The most fundamental aspect of an independent Election Commission free from executive interference is the process of choosing the Election… pic.twitter.com/JeL9WSfq3X
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 18, 2025
राहुल ने आगे लिखा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर और भारत के मुख्य न्यायाधीश को समिति से हटाकर, मोदी सरकार ने हमारी चुनावी प्रक्रिया की अखंडता पर करोड़ों मतदाताओं की चिंताओं को बढ़ा दिया है. नेता प्रतिपक्ष के रूप में यह मेरा कर्तव्य है कि मैं बाबासाहेब अंबेडकर और हमारे देश के संस्थापक नेताओं के आदर्शों को कायम रखूं और सरकार को जिम्मेदार ठहराऊं. प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा नये सीईसी का चयन करने के लिए आधी रात को निर्णय लेना अपमानजनक और अशिष्टतापूर्ण है, जबकि समिति की संरचना और प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा रही है और इस पर 48 घंटे से भी कम समय में सुनवाई होनी है.