Lohardaga: कैरो प्रखंड मुख्यालय में आठ साल पहले ग्यारह करोड़ की लागत से पेयजलापूर्ति योजना शुरू की गई थी. जो अब बेकार हो गई है. जब यह चालू हुई थी तो लोगों में काफी उत्साह था. लेकिन अब बंद है. तब राइजिंग पाइप लाइन, किलयर वाटर राइजिंग, वितरण पाइप लाइन, सेंट्रीफ्यगल पंप, भीटी पंप, वास वाटर टैंक, जलमीनार, जल संयोजन, इंटेकवेल सहित विभिन्न सयंत्र बनाए गए थे.
इस योजना से कैरो, उतका, विराजपुर, जामुनटोली, सुकुरहट्टू, सिंजो व उमरी गांव के दो हजार घरों में कनेक्शन है.
इससे लगभग दस हजार लोगों को पानी मिलती थी. ग्रामीणों का कहना है कि इस योजना के निर्माण के बाद से लगातार तीन वर्षों तक सुचारू रूप से लोगों के घरों में पानी पंहुचती थी. तीन वर्ष सबंधित ठेकेदार के द्वारा इसकी देखरेख हो रही थी. इसके बाद जब इसे ग्राम पेयजल स्वच्छता समिति को हैंडओवर कर दिया गया, तब से पेयजलापूर्ति नहीं हो रही है.
मुखिया विरेन्द्र का कहना है कि पेयजलापूर्ति योजना को सुचारू रूप से चलाने में वाटर रिफायनरी केमिकल और देख-रेख करने वाले कर्मियों का खर्च महीने का लगभग 75 हजार रुपए है. उपभोक्ताओं द्वारा पानी का बिल भुगतान नहीं करने के कारण इसका मेंटेन नहीं हो सका जिस कारण संयत्र बंद है. कहा जा रहा है कि ग्रामीण बिल का भुगतान नहीं कर रहे हैं. इसलिए सयंत्र बंद है. उपभोक्ता पुनः पानी का बिल नियमित देना शुरू कर दें जलापूर्ति योजना अवश्य शुरू होगी. उपभोक्ताओं को भी जिम्मेदार होना होगा। केवल सरकार और विभाग के भरोसे अच्छी व्यवस्था नहीं हो सकती. इसलिए सभी को सजग होना होगा.
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