ट्रंप के इस बयान के बाद व्यापारिक तनाव बढ़ने की आशंका
LagatarDesk : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत के खिलाफ अपने टैरिफ नीतियों का समर्थन किया है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने स्पष्ट किया कि अगर वो हम पर टैरिफ लगायेंगे तो हम भी उन पर लगायेंगे. चाहे वो कंपनी हो या फिर कोई देश. ट्रंप ने फेयर गेम की बात करते हुए कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका भी वही टैरिफ लगायेगा जो भारत और चीन जैसे अन्य देश अमेरिकी वस्तुओं पर लगाते हैं. उन्होंने अमेरिका की आक्रामक ट्रेड पॉलिसी पर जोर दिया.
ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वे रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की योजना बना रहे हैं. उनका मानना है कि अमेरिका को उन देशों से समान टैरिफ वसूलना चाहिए, जो अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क लगाते हैं. उन्होंने बताया कि पहुत पहले वो रेसिप्रोकल टैरिफ लगाते, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे लागू नहीं किया सका. लेकिन अब ट्रंप पूरे जोर-शोर से रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने की तैयारी कर रहे हैं.
ट्रंप ने यह भी बताया कि भारत का टैरिफ स्ट्रक्चर बहुत ऊंचा है, जिससे व्यापार करना कठिन हो जाता है. उन्होंने हार्ले डेविडसन का उदाहरण देते हुए कहा कि हाई टैक्स के कारण कंपनी को इसे भारत में निर्माण करना पड़ा.
डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद संभालने के तुरंत बाद मेक्सिको, कनाडा और चीन पर टैरिफ लगाने की घोषणा की थी. हालांकि, मेक्सिको और कनाडा को एक महीने की मोहलत दी गयी थी, जो अब समाप्त होने को है. इस बीच, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा ने नई उम्मीदें जगाईं.
मोदी और ट्रंप के बीच टैरिफ को लेकर बातचीत हुई, जिसके बाद भारत ने अमेरिकी उत्पादों, जैसे कि व्हिस्की और हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल पर टैरिफ में कटौती की. इस कदम ने यह आभास दिया कि भारत को ट्रंप की कड़ी टैरिफ नीति से कुछ राहत मिल सकती है.
लेकिन ट्रंप के ताजा बयान ने स्थिति को फिर से बदल दिया है. इसकी वजह से व्यापारिक तनाव की संभावना बढ़ गयी है. बता दें कि अगर अमेरिका भारत पर ऊंचे टैरिफ लगाता है, तो इससे भारतीय उत्पादों की कीमतें अमेरिकी बाजार में बढ़ जायेंगी, जिससे उनकी मांग में कमी आ सकती है. वित्त वर्ष 2023-24 में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार था, जो कुल निर्यात का लगभग 17.7% हिस्सा था. ऐसे में टैरिफ में वृद्धि से भारतीय निर्यात में 3-3.5% की गिरावट का अनुमान लगाया जा रहा है, जो विशेष रूप से छोटे और मझोले उद्यमों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है.