Surjit Singh
दो खबरें हैं. 18 दिन के अंतराल में सामने आयी है. पहली खबर- देश के अरबपतियों के पास कैश, यानी नगदी बढ़ गया है. कैश रिजर्व करीब 35 प्रतिशत बढ़ गया है. रुपये में देखें तो 10.60 लाख करोड़ से बढ़ कर 14;34 लाख करोड़ हो गया है. ये वही अरबपति हैं, जिनकी कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड है और अधिकांश निफ्टी की 500 कंपनियों में आता है.
दूसरी खबर – शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों के मालिकों की हिस्सेदारी 20 साल में सबसे कम हो गई है. इस वित्तीय वर्ष के जुलाई-सितंबर तिमाही में 180 कंपनियों के मालिकों ने अपनी 38 हजार करोड़ की हिस्सेदारी बेच दी है. इस पूरे वित्तीय वर्ष की बात करें तो कंपनियों के मालिकों ने अपनी 1 लाख करोड़ के शेयर बेच दिए.
कंपनियों के मालिकों ने अपनी हिस्सेदारी तब बेची है, जब शेयर बाजार उफान पर था. पिछले पांच महीने से शेयर बाजार में गिरावट का दौर जारी है. शेयर बाजार में निवेश करने वालों का प्रोटफोलियो घाटे में पहुंच गया है. आशंका जताई जा रही है कि बाजार अभी और टूटेगा.
हाल के सालों में सबसे अधिक मीडिल क्लास के लोग ही शेयर बाजार में पहुंचे हैं. डिमेट एकाउंट के जरिये या म्यूचुअल फंड में निवेश करके. सबके प्रोटफोलियो या तो घाटे में पहुंच गया है या मुनाफा बहुत कम हो गया है. इससे निवेशकों में डर का माहौल है. एक्टिव डिमेट एकाउंट की संख्या में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. Zerodha, Upstock, 5Paisa जैसे प्लेटफॉर्म के करीब 87,000 डिमेट एकाउंट अब एक्टिव नहीं है.
इन दोनों खबरों को एक जगह रख करके पढ़ने से यह पता चलता है कि पिछले 5 सालों में शेयर बाजार में जो तेजी आयी, उसका फायदा कंपनियो के मालिकों ने अपनी हिस्सेदारी बेच करके उठा लिया और नुकसान हुआ छोटे निवेशकों का, जिन्होंने डिमेट एकाउंट खोलकर या म्यूचुअल फंड के जरिये शेयर बाजार में निवेश किया.