Ranchi: कैथोलिक चर्च, जीईएल चर्च और सीएनआई चर्च में बुधवार से चालिसा काल की शुरुआत हो रही है. चर्चों में सुबह पांच बजे से आराधना शुरू हो जाएगी, जो शाम पांच बजे तक चलेगी. परमेश्वर की आराधना के लिए चर्चों में भीड़ होगी. खजूर के पत्तों को जलाकर उन्हें माथे पर तिलक के रूप में लगाया जाएगा. इसके साथ ही लोग पश्चाताप करेंगे और परमेश्वर के दुखभोग का स्मरण करेंगे. सभी वर्गों का खास ध्यान रखा गया है.
संत मरिया महागिरजाघर चर्च में पांच बार अलग-अलग समय पर मिस्सा आयोजित किया जाएगा. संत मरिया महागिरजाघर चर्च के पल्ली पुरोहित, आनंद डेविड खलखो ने बताया कि चालिसा काल बुधवार से शुरू होगी और पांच बार मिस्सा होगा. इसमें सुबह 5 बजे, 8 बजे, 3.30 बजे और शाम को भी मिस्सा होगा. प्रत्येक विनती के लिए अलग-अलग फादर शामिल होंगे. इस दौरान यीशु ख्रीस्त का चिंतन और मनन किया जाएगा और माथे पर राख लगाया जाएगा. इसके बाद विनती और आराधना होगी.
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रोम से शुरू हुआ था चालिसा काल
बिशप हाउस के सचिव असीम मिंज ने बताया कि यह परंपरा 500-600 ईस्वी में रोम के पहले पोप संत पिता पैट्रस से शुरू हुई थी, जो आज पूरे कलिसिया में मनाई जाती है.
इन चौदह घटनाओं पर होगा चिंतन और मनन
1. यीशु को प्राणदंड की आज्ञा मिलती है.
2. यीशु के कंधे पर क्रूस लादा जाता है.
3. यीशु पहली बार क्रूस के नीचे गिरते हैं.
4. यीशु और उनकी दुखी मां की भेट होती है.
5. सिरिनी सिमोन यीशु को क्रूस ढोने में सहायता देते हैं.
6. बेरोनिका यीशु का चेहरा पोछती हैं.
7. यीशु दूसरी बार गिरते हैं.
8. येरूसेलम की स्त्रियां यीशु के लिए रोती हैं.
9. यीशु तीसरी बार गिरते हैं.
10. यीशु के कपड़े उतारे जाते हैं.
11. यीशु क्रूस पर ठोके जाते हैं.
12. यीशु क्रूस पर मर जाते हैं.
13. यीशु को क्रूस से उतारा जाता है.
14. यीशु को कब्र में रखा जाता है.
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