Chatra: आम्रपाली कोल परियोजना के विस्तारीकरण को लेकर लोक जनसुनवाई कार्यक्रम हुआ. यह कार्यक्रम परियोजना क्षेत्र से विस्थापित गांव उड़सू में हुआ. कार्यक्रम में परियोजना से विस्थापित पांच गांव के रैयत भी शामिल हुए. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राज्य पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण परिषद पदाधिकारी आशुतोष कुमार व हजारीबाग प्रमंडल के क्षेत्रीय पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण परिषद के पदाधिकारी जितेंद्र प्रसाद सिंह शामिल हुए.
प्रशासन की तरफ से अपर समाहर्ता अरविंद कुमार व सीओ विजय दास शामिल हुए. सीसीएल से आम्रपाली परियोजना के महाप्रबंधक अमरेश कुमार सिंह, परियोजना पदाधिकारी मोहम्मद अकरम शामिल थे. जनसुनवाई में आम्रपाली परियोजना के फेज-थ्री की उत्पादन क्षमता 25 मिलियन टन से बढ़ाकर 35 मिलियन टन करने पर बात हुई. इसे लेकर ग्रामीणों से पर्यावरणीय स्वीकृति करने की सहमति मांगी गई. जिस पर ग्रामीणों ने अपनी समस्या बताई.
कुछ ग्रामीण ने कहा कि परियोजना क्षेत्र के खुलने के एक दशक से अधिक समय के बाद भी प्रदूषण से रोकथाम को लेकर कोई उपाय नहीं किया गया है और ना ही मूलभूत सुविधाएं बहाल की गई है. इसका खामियाजा हमलोगों को भुगतना पड़ता है. कहा कि कोयला निकालने वाली कम्पनी व सीसीएल नौकरी दे सकती है तो कोयला ढुलाई करने वाली कम्पनी क्यों नहीं दे सकती है. उन्होंने कहा कि आम्रपाली कोल परियोजना में कार्यरत मजदूरों से आठ घंटे के बजाय बारह घंटे तक की ड्यूटी ली जाती है. यह सही नहीं है.
इस दौरान प्रबंधन से कोयला ढुलाई में लगी कंपनियों में युवाओ को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ आठ घंटे ड्यूटी कराने की मांग की. ग्रामीणों ने ओडिशा राज्य के तर्ज पर परिवहन निति बनाने की मांग की. उन्होंने कोल परियोजना में 1957 से चली आ रही बेयरिंग एक्ट को बदलने की भी मांग की. इसके अलावा सड़क दुर्घटना को लेकर अलग कोल ट्रांसपोर्टिंग सड़क बनाने और नियमित मुआवजा नीति बनाने की मांग की. ग्रामीणों ने इन मांगों पर विचार करने को कहा.
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