Ranchi: रांची में गर्मी की दस्तक के साथ ही पानी की किल्लत भी शुरू हो गई है. शहर के कई मोहल्लों में जल स्तर तेजी से गिरने लगा है, जिससे घरों के बोरिंग सूखने लगे हैं. ऐसे में पानी की पाइपलाइन व्यवस्था न होने के कारण इन इलाकों के निवासियों के लिए नगर निगम के टैंकर ही आखिरी सहारा बन गए हैं. जल संकट से निपटने के लिए रांची नगर निगम ने इस बार एक विशेष कार्य योजना बनाई है, जिससे जल संकट से जूझ रहे मोहल्लों तक जल्द से जल्द पानी पहुंचाया जा सके.
इसे भी पढ़ें –जेपीएससी-2 की कॉपी जांचने में बनारसी प्रोफेसरों का कारनामा
जल संकट से निपटने के लिए टैंकरों की व्यवस्था
नगर निगम ने निर्णय लिया है कि इस बार शहर के नौ प्रमुख जलस्रोतों से टैंकरों में पानी भरकर उसे जरूरतमंद इलाकों में भेजा जाएगा. इन जलस्रोतों को इस प्रकार चिह्नित किया गया है कि टैंकरों को जल्दी से रिफिल कर प्रभावित क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति की जा सके.
हर इलाके में चिन्हित जलस्रोत
गर्मी के दौरान सबसे बड़ी चुनौती टैंकरों को तेजी से रिफिल करना होता है, ताकि जल संकट वाले इलाकों में पानी की समय पर आपूर्ति हो सके. इस समस्या के समाधान के लिए नगर निगम ने लटमा हिल, कांके डैम, सिरमटोली जलस्रोत, कांटाटोली बस स्टैंड जलस्रोत, कर्बला चौक जलस्रोत, पिस्का मोड़ जलस्रोत और कुसई कॉलोनी जलस्रोत को टैंकरों के लिए पानी भरने के प्रमुख केंद्रों के रूप में चिन्हित किया है. यहां नगर निगम के टैंकर पहुंचेंगे और महज 15 मिनट में रिफिल होकर तुरंत प्रभावित इलाकों में रवाना किए जाएंगे.
सभी 60 टैंकरों को एक्टिव मोड में रखने का निर्देश
गर्मी बढ़ने के साथ-साथ जल संकट वाले इलाकों की संख्या भी बढ़ेगी. इसे ध्यान में रखते हुए नगर निगम के उप प्रशासक गौतम कुमार साहू ने सभी 60 टैंकरों को दुरुस्त रखने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि सभी टैंकरों को “एक्टिव मोड” में रखा जाए, ताकि किसी भी इलाके में पानी की कमी से जूझ रहे लोगों को राहत दी जा सके.
हर साल क्यों बढ़ती है जल संकट की समस्या?
हर साल गर्मी आते ही रांची के कई इलाकों में पानी की भारी किल्लत देखने को मिलती है. गिरते जलस्तर, बढ़ती आबादी, अनियंत्रित बोरिंग और सीमित जल आपूर्ति संसाधन इस समस्या को और गंभीर बना देते हैं. यदि समय रहते जल संरक्षण और जल प्रबंधन पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले समय में यह समस्या और भी भयावह हो सकती है.
नगर निगम का यह कदम जल संकट से जूझ रहे इलाकों के लिए कितना राहतकारी साबित होगा, यह तो आने वाले दिनों में ही स्पष्ट होगा. हालांकि यदि दीर्घकालिक समाधान की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह संकट हर साल फिर से सामने आएगा.
इसे भी पढ़ें –14 मार्च को लगेगा साल का पहला चंद्रग्रहण, जानें भारत में सूतक काल मान्य होगा या नहीं