SAURAV SINGH
Ranchi: झारखंड के कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू को एटीएस की टीम ने मुठभेड़ में ढ़ेर कर दिया. इस घटना के बाद एक बार फिर से झारखंड के उन गैंगस्टर्स का नाम याद किया जाने लगा है, जो जिन्दा रहते वक्त तक खौफ व डर का नाम थे, पर अंत खौफनाक हुआ.
किसी की मौत गैंगवार में हुई, तो कोई पुलिस के साथ हुए मुठभेड़ में मारा गया. इस स्टोरी में हम झारखंड के 6 कुख्यात गैंगस्टर के बारे में बता रहे हैं, जिनका नाम अपराध जगत में जितना बड़ा था, अंत भी उतना ही खौफनाक हुआ.
सुशील श्रीवास्तवः झारखंड के कोयला क्षेत्र रामगढ़, हजारीबाग व चतरा के कोयला कारोबारियों पर कई सालों तक दबदबा कायम रखने वाले सुशील श्रीवास्तव को बाबा नाम से जाना जाता था. जेल में रह कर बाहर की दुनिया में जबरदस्त आतंक था इस नाम का. सुशील का बिहार और झारखंड के कई नेताओं से भी बड़े करीबी रिश्ते थे.
अपराध के शुरुआती दौर में सुशील श्रीवास्तव कोयला क्षेत्र के कुख्यात भोला पांडेय का करीबी था. लेकिन थोड़े ही दिनों में भोला पांडेय का ना सिर्फ साथ छूटा, बल्कि दोनों के बीच अदावत छिड़ गई. साल 2010 में भोला पांडेय की हत्या कर दी गई. उधर, सुशील श्रीवास्तव जेल से ही अपनी बादशाहत कायम रखने में सफल रहा.

सुशील के लिए जेल एक तरह से सबसे सुरक्षित ठिकाना बन गया. 2 जून 2016 को सुशील श्रीवास्तव को हजारीबाग जेल से हजारीबाग कोर्ट लाया गया. कोर्ट परिसर में ही उसके ऊपर एके-47 से ताबड़तोड़ फायरिंग की गई. फायरिंग की इस घटना में सुशील श्रीवास्तव के अलावा तीन और लोगों की मौत हो गई.
भोला पांडेयः भोला पांडेय, रामगढ़ (तब हजारीबाग जिला) के पतरातू का रहने वाला था. एकीकृत बिहार के समय से ही पतरातू में ही छोटे-मोटे अपराध की घटना को अंजाम देता था. झारखंड बनने के बाद भोला पांडेय का नाम सबसे तेजी से उभरा. भोला पांडेय के लिए पतरातू अभेद्य किला जैसा था.
बाद में भोला पांडेय का आतंक कोयला क्षेत्र से लेकर रांची तक पहुंचा. रांची में उसे गिरफ्तार भी किया गया. सुशील श्रीवास्तव, शूटर अमरेंद्र तिवारी सब साथ ही थे. लेकिन बाद में सबके बीच विवाद हो गया.
साल 2008 में रामगढ़ व रांची में अमरेंद्र तिवारी नाम के शूटर की तूती बोलती थी. कहा जाता है कि अमरेंद्र तिवारी ने सुशील श्रीवास्तव से हाथ मिला लिया था. हालांकि अमरेंद्र ने कभी यह बात स्वीकार नहीं की. उधर,भोला पांडेय रांची, हजारीबाग समेत अन्य जेलों में घूमता रहा. एक मामले में उसे दुमका जेल ले जाया गया था.

वर्ष 2009 में रांची पुलिस ने उसे रिमांड किया था. उसे दुमका से रांची लाया जा रहा था. रास्ते में एक लाइन होटल में जब पुलिसकर्मी और भोला पांडेय खाना खाने के लिए रुके थे, तब भोला पांडेय शौच करने लिए होटल के पीछे गया था. तभी अमरेंद्र तिवारी ने भोला पांडेय की हत्या कर दी थी.
अपराध जगत में यह चर्चा रही कि सुशील श्रीवास्तव के इशारे पर भोला पांडेय की हत्या की गई, लेकिन भोला पांडेय की हत्या करने के बाद अमरेंद्र तिवारी ने पत्रकारों को फोन करके बताया था कि उसने अलग गिरोह बना लिया है.
किशोर पांडेय: किशोर पांडेय कुख्यात अपराधकर्मी भोला पांडेय का भतीजा था. किशोर के पिता कामेश्वर पांडेय रेलकर्मी थे और छोटे पुत्र बबलू पांडेय के साथ पतरातू में ही रहते हैं. वह अपने चाचा से प्रभावित था व कम उम्र में ही अपराध करने लगा था.
साल 2007 में उसने रामगढ़ जिला के सयाल निवासी मो. सकरुल्ला और खलारी में दो व्यवसायियों की हत्या कर दी थी. वर्ष 2009 में रांची के फाइनेंसर राजू धानुका की हत्या के बाद उसका नाम सुर्खियों में आया था.

अपराध जगत में उसकी पहचान शूटर के रूप में रही है. रांची जेल में बंद अपराधी सुशील श्रीवास्तव गिरोह से खुली अदावत थी. वह हर हाल में सुशील श्रीवास्तव को खत्म करना चाहता था. साल 2014 में किशोर पांडेय की हत्या जमशेदपुर में कर दी गई. अब पांडेय गिरोह की कमान विकास तिवारी संभाल रहा है.
अमन सिंहः धनबाद मंडल कारा में दो साल पहले तीन दिसंबर, 2023 को गैंगस्टर अमन सिंह की सुंदर यादव उर्फ रितेश यादव ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. अमन सिंह नीरज सिंह हत्याकांड मामले में जेल में बंद था.
झारखंड सीआईडी की रिपोर्ट के मुताबिक, अमन सिंह धनबाद जेल में रहकर कोयला कारोबारी समेत अन्य लोगों से हर महीने करीब 20 लाख रुपए की वसूली करता था.
अमन सिंह अपने आपराधिक सहयोगी आशीष रंजन उर्फ छोटू सिंह, रिंकू सिंह उर्फ ओमेन्द्र सिंह, विकास बजरंगी, सतीश कुमार उर्फ सतीश गांधी, चंदन यादव, अमर रवानी, शहजाद कुरैशी, बंटी उर्फ धनु शर्मा के सहयोग से रंगदारी वसूलता था.

रंगदारी से वसूले गए पैसे के विवाद में अमन सिंह के साथी आशीष रंजन उर्फ छोटू सिंह ने अपने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर एक साजिश एक तहत अमन सिंह की जेल के अंदर हत्या करवा दी.
कुणाल सिंहः झारखंड में कई बड़े गैंगवार हुए हैं. इसमें से एक बड़ी घटना है पलामू के डॉन कुणाल सिंह और डब्लू सिंह के बीच वर्चस्व की लड़ाई को लेकर होने वाले गैंगवार की. डॉन कुणाल सिंह और गैंगस्टर डब्लू सिंह के बीच वर्चस्व की लड़ाई में कई बार गैंगवार हुआ. 2011-12 से शुरू हुई वर्चस्व की लड़ाई में करीब एक दशक बाद 3 जून 2020 को डॉन कुणाल सिंह की हत्या के साथ ही खत्म हुई.
पुलिस फाइल में जो जानकारी दर्ज है, उसके मुताबिक, कुणाल सिंह, डब्लू सिंह की हत्या करना चाहता था. कुणाल सिंह के करीबी फंटूश ने इस बात की जानकारी डब्ल्यू सिंह को दे दी थी.
जानकारी मिलने के बाद डब्लू सिंह ने कुणाल सिंह की हत्या करवाने का फैसला लिया. 25 -26 अप्रैल 2020 को उसने अपने साथियों को जुटाया और 27 अप्रैल 2020 को शांतिपुरी के मैदान में कुणाल सिंह की हत्या करने का फैसला लिया.

घटना के दिन अमरेश मेहता ने पहले कुणाल की कार को सफारी से टक्कर मारी, फिर अन्नू विश्वकर्मा और विजय शर्मा ने कुणाल सिंह को गोली मारी थी. पूरी घटना को तीन मिनट के भीतर अंजाम दिया गया था.
अमन साहूः झारखंड पुलिस के लिए चुनौती बने कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू को पुलिस ने 11 मार्च 2025 को मुठभेड़ में ढेर कर दिया. यह घटना पलामू जिले के चैनपुर के अंधारी ढोडा में हुई है. झारखंड एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वाड) की टीम ने कुख्यात गैंगस्टर को मार गिराया. इस घटना में एक पुलिसकर्मी भी घायल हुआ है.
अमन साहू गिरोह ने पिछले एक साल में कई वारदात को अंजाम दिया. जेल में रहते हुए वो अपने गुर्गों की मदद से रांची, चतरा, रामगढ़, हजारीबाग, गिरिडीह, जमशेदपुर, चाईबासा, बोकारो, धनबाद समेत तमाम जिलों में घटनाओं को अंजाम देता रहा और रंगदारी वसूलता रहा.

रांची में कोयला कारोबारी बिपिन मिश्रा पर फायरिंग करने और हजारीबाग में एनटीपीसी के अधिकारी की हत्या की घटना के बाद पुलिस उसे रायपुर जेल से रांची ला रही थी. रास्ते में पुलिस का वाहन पलट गया. तब अमन साहू पुलिसकर्मी का हथियार छीन कर फायरिंग की और भागने लगा. तभी पुलिस ने जवाबी फायरिंग कर उसे मार गिराया.