अगर जलवायु परिवर्तन पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया, तो दुनिया के कई शहर डे जीरो यानी पानी खत्म होने की स्थिति का सामना करेंगे. कराची और साओ पाउलो सबसे बड़े खतरे में हैं.
NewDelhi : पूरे विश्व में जलवायु परिवर्तन का गंभीर खतरा अब साफ सामने दिख रहा है. ग्लोबल वार्मिंग के कारण दुनिया के 95 फीसदी प्रमुख शहरों में या बेतहाशा बारिश या लंबे समय तक सूखा पड़ रहा है. भारत का बात करें तो दिल्ली, लखनऊ, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु जैसे शहर इस संकट से जूझरहे हैं.
ब्रिस्टल और कार्डिफ यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कॉलर ने विश्व भर के 112 शहरों का अध्ययन किया
बता दें कि ब्रिस्टल और कार्डिफ यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कॉलर ने विश्व भर के 112 प्रमुख शहरों का अध्ययन किया. अध्ययन में यह जानकारी सामने आयी कि तेजी से बदल रहे मौसम की वजह से जलवायु संकट गहराता चला जा रहा है. जब कहीं रिकॉर्ड स्तर पर गर्मी, सर्दी, सूखा या बरसात होती है, तो यह ग्लोबल वीर्डिंग(वार्मिंग) कहलाती है.
दुनिया के 24 शहरों का जलवायु पैटर्न पूरी तरह बदल चुका है
रिसर्च की मानें तो भारत में तेजी से बढ़ते शहरीकरण और पुराने ड्रेनेज सिस्टम और वाटर मैनेजमेंट सिस्टम में गड़बड़ी होने के कारण जलवायु संकट का असर दोगुना पड़ रहा है. एक्सपर्ट सोल ओयुएला ने चेताया है कि अगर जल्द कदम नहीं उठाये गये, तो भारत के कई अन्य शहर इस खतरे में आ जायेगे. पिछले दो दशकों में दुनिया के 24 शहरों का जलवायु पैटर्न पूरी तरह बदल चुका है. जहां सूखा पड़ता था, उन शहरों में बारिश बढ़ गयी है, जबकि बारिश वाले शहरों में अब सूखा पड़ रहा है.
रियाद के रेगिस्तान में बाढ़ की घटनाएं बढ़ रही हैं
उदाहरण स्वरूप रियाद के रेगिस्तान में बाढ़ की घटनाएं बढ़ रही हैं. मिस्र के शुष्क शहर काहिरा अब बाढ़ की चपेट में आता है. इसके अलावा डलास, जकार्ता, मेलबर्न जैसे 17 शहरों में जलवायु असंतुलन के कारण गंभीर समस्याएं खड़ी हो रही है. डलास शहर में लंबे सूखे के बाद अचानक तूफान और बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. इंडोनेशिया का जकार्ता शहर लगातार डूब रहा है. मेलबर्न के जंगलों में दावनल और फिर अचानक बारिश से तबाही मच रही है. केन्या के नैरोबी में सूखे से फसलें बर्बाद हो रही
कराची और साओ पाउलो पर डे जीरो का गंभीर संकट
रिसर्चर्स के अनुसार अगर जलवायु परिवर्तन पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया, तो दुनिया के कई शहर डे जीरो यानी पानी खत्म होने की स्थिति का सामना करेंगे. कराची और साओ पाउलो सबसे बड़े खतरे में हैं. इस क्रम में नैरोबी, खार्तूम और जकार्ता भी पानी की गंभीर समस्या से जूझ सकते हैं. एक्स्पर्ट्स की सलाह है कि जलवायु परिवर्तन की गति को कम करने के लिए बड़े शहरों को ड्रेनेज सिस्टम सुधारने होंगे. वाटर कंजर्वेशन की पॉलिसी अपनानी होगी. अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो अगले कुछ दशकों में शहरों में रहना मुश्किल होता चला जायेगा.
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