Kiriburu (Shailesh Singh) : नवरात्रि की सप्तमी के दिन गिरी राजेश्वरी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी. हजारों लोगों ने मंदिर में पूजा की एंव महाभोग में शामिल होकर प्रसाद ग्रहण किया. झारखंड-ओडिशा के लोगों के आस्था व विश्वास का केन्द्र है गिरी राजेश्वरी का मां दुर्गा मंदिर. यह मंदिर झारखण्ड के किरीबुरु शहर से लगभग छः किलोमीटर दूर ओडिशा सीमा से सटे जंगल व घाटी में स्थित है. ऐसे तो इस मंदिर में प्रतिदिन पूजा होती है, लेकिन दुर्गापूजा के दौरान नवरात्रि में नौ दिन विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है. इन नौ दिनों तक चलने वाली पूजा में प्रत्येक दिन अलग-अलग लोग पूजा देते हैं. पूजा के दौरान दोपहर में प्रतिदिन महाभोग का आयोजन होता है.
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सालों पहले इस रास्ते में हुई थी माँ-बेटी की मौत
गिरी राजेश्वरी मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. कहा जाता है कि दशकों वर्ष पूर्व जब सेल किरीबुरु का टाउनशिप ओडिशा के बैसकैंप में था, तभी बेसकैंप के होरोमोटो टोला निवासी रामराय की गर्भवती बेटी अपनी एक मासूम बेटी को साथ लेकर अपना इलाज कराने सेल की एक डाला वाली वाहन से हिलटॉप जा रही थी. जाते समय मंदिर वाले स्थान पर उक्त वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गई. इस दुर्घटना में माँ व बेटी की दर्दनाक मौत हो गई थी. इसके अलावे इस स्थान पर कई दुर्घटनाएं होते रहती थी. इस घटना के लगभग दो साल बाद एक पूर्व सेलकर्मी को स्वप्न में माँ दुर्गा प्रकट हुई एंव उन्होंने घटनास्थल पर एक मंदिर बनवाने का आदेश दिया.
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श्रद्धालुओं की होती है मुरादें पूरी
इसके बाद मूर्ति नामक पूर्व सेलकर्मी ने आसपास के लोगों की मदद व सेल के सहयोग से यहां एक छोटा मंदिर बनवाया और माता की की मूर्ति स्थापित कर पूजा-अर्चना शुरू की. मंदिर बनने के बाद इस सड़क पर दुर्घटना होना बंद हो गया. कुछ लोगों का यह भी कहना है कि पहले यहां के पुजारी पूजा कर मंदिर के बाहर प्रसाद रख देते थे. शाम में अथवा अंधेरा होने पर एक बाघ मंदिर में आता था एंव प्रसाद खाकर चला जाता था. कहा जाता है कि माँ दुर्गा के इस मंदिर में पूरी आस्था व विश्वास के साथ जो भी कुछ मांगता है, उसकी मुरादें पूर्ण होती है. सेल, पुलिस-प्रशासन व विभिन्न संस्थानों के कई उच्च अधिकारियों की मन्नतें पूरी हुई है.
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