Saurav Singh
Ranchi : झारखंड में माओवादियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है. जिसका नतीजा यह है पूरे राज्यभर में माओवादियों का सिर्फ आठ दस्ता सक्रिय है. जिसके तलाश में सुरक्षाबलों के द्वारा लगातार अभियान चलाया जा रहा है. वर्तमान में झारखंड का 16 जिला नक्सल प्रभावित है जिसे नक्सल मुक्त कराने का प्रयास जारी है. नक्सलियों का सबसे बड़ा दस्ता चाईबासा जिले के टोंटो थाना क्षेत्र में कैंप कर रहा है.
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जानें कौन कहां है सक्रिय
1. पलामू जिले के हुसैनाबाद और पांडू थाना क्षेत्र के बॉर्डर एरिया में रिजनल कमांडर नितेश उर्फ गोदराम का दस्ता सक्रिय है. इस दस्ते में दो से चार की संख्या में नक्सली है.
2. चतरा जिला के प्रतापपुर और कुंदा थाना क्षेत्र के बॉर्डर एरिया में रिजनल कमांडर इंदल गंझू का दस्ता सक्रिय है, इस दस्ते में 6 से 8 की संख्या में नक्सली शामिल हैं.
3. चतरा जिले के राजपुर थाना क्षेत्र में सैक के सदस्य गौतम पासवान, चार्लिस का दस्ता सक्रिय है इस दस्ता में 10 से 15 की संख्या में नक्सली हैं.
4. बोकारो जिले के झुमरा सैक का सदस्य चंचल और रिजनल कमांडर अनुज का दस्ता सक्रिय है. इस दस्ते में 4 से 6 की संख्या में नक्सली शामिल हैं.
5. गिरिडीह के पारसनाथ में सेंट्रल कमेटी के सदस्य परवेज, विवेक, सहदेव सोरेन, राम दयाल महतो का दस्ता सक्रिय है. इस दस्ते में 20 से 25 की संख्या में नक्सली हैं.
6. लातेहार जिले के अधे और कुर्गी में सैक सदस्य मारकश, छोटू खेरवार और मृत्युंजय का दस्ता सक्रिय है. इस दस्ते में 10 से 15 की संख्या में नक्सली शामिल हैं.
7. लोहरदगा और गुमला जिला के बॉर्डर एरिया में रीजनल कमांडर रविंद्र गंझू और लाज़िम अंसारी का दस्ता सक्रिय है. इस दस्ते में 8 से 10 की संख्या में नक्सली शामिल हैं.
8. चाईबासा जिले के टोंटों थाना क्षेत्र में सेंट्रल कमेटी के सदस्य मिसिर बेसरा, पतिराम मांझी, अनमोल, अजय महतो, चमन और अमित मुंडा का दस्ता सक्रिय है. इस दस्ते में 100 से 150 की संख्या में नक्सली शामिल हैं.
झारखंड के 16 जिला नक्सल प्रभावित
झारखंड पुलिस के मुताबिक झारखंड का 16 जिला नक्सल प्रभावित है. जिसमें गढ़वा, पलामू, चतरा ,लातेहार, लोहरदगा, खूंटी ,चाईबासा, जमशेदपुर, सरायकेला, सिमडेगा, गुमला, रांची, हजारीबाग ,गिरिडीह ,धनबाद और बोकारो शामिल है. इसके अलावा रामगढ़, कोडरमा, दुमका ,जामताड़ा ,देवघर, साहिबगंज, गोड्डा और पाकुड़ नक्सल मुक्त हो चुके हैं.
माओवादी कोल्हान के सारंडा जंगल को लेकर काफी सतर्क हैं
भाकपा माओवादियों के लिए बूढ़ा पहाड़ तीन दशकों तक मजबूत गढ़ रहा था. बूढ़ा पहाड़ के कारण माओवादियों को झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार में मदद मिलती थी. यहां माओवादियों ने स्थायी कैंप और ट्रेनिंग की व्यवस्था भी की थी. लेकिन लातेहार जिले का बूढ़ा पहाड़ अब पूरी तरह सुरक्षा बलों के कब्जे में आ गया है. जिसे माओवादियों के सबसे बड़े किले के ढहने के जैसा माना जा रहा है. ऐसे में माओवादी कोल्हान के सारंडा जंगल को लेकर काफी सतर्क हैं. सारंडा माओवादियों के ईआरबी का सचिवालय माना जाता है. यहां से बिहार, झारखंड ही नहीं बल्कि पूर्वी राज्यों की गतिविधियां संचालित होती हैं. इस इलाके का रणनीतिक महत्व अधिक है.
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