Chandil (Dilip Kumar) : चांडिल के रूचाप स्थित नौरंगराय सूर्यादेवी सरस्वती शिशु विद्या मंदिर के विद्यार्थियों ने विक्रम संवत 2080 चैत्र शुक्ल वर्ष प्रतिपदा हिंदू नववर्ष पर बुधवार को विशाल शोभा यात्रा सह रैली निकाली. शोभा यात्रा सह रैली विद्यालय परिसर से प्रारंभ होकर तांती बांध, चांडिल बाजार, बस स्टैंड, डैम रोड होते हुए पुनः विद्यालय परिसर में आकर समाप्त हुई. इसमें विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं के साथ सभी छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया. शोभा यात्रा के साथ सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए चांडिल थाना की पुलिस मुश्तैद रही. शोभा यात्रा सह रैली के सफल संचालन में स्थानीय प्रशासन की भूमिका सराहनीय रही.

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हिंदू नववर्ष की दी शुभकामनाएं
शोभा यात्रा सह रैली निकालकर विद्यालय के प्राचार्य कुणाल कुमार एवं उप प्राचार्य सुब्रत चटर्जी ने समस्त चांडिलवासियों को नववर्ष की शुभकामना दी. उल्लेखनीय है कि भारतीय कैलेंडर के अनुसार नववर्ष का आगाज एक जनवरी से नहीं बल्कि चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से नवसंवत्सर आरंभ होता है जो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अक्सर मार्च-अप्रैल माह में आता है. ज्योतिष गणना के अनुसार, हिन्दू नव वर्ष का पहला दिन जिस भी दिवस पर पड़ता है पूरा साल उस ग्रह का स्वामित्व माना जाता है. हिंदू नववर्ष पूजा-पाठ के लिहाज से बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. हिंदू नव वर्ष की जब शुरुआत होती है तब चैत्र का महीना होता है. चैत्र माह और हिंदू नववर्ष का पहला त्योहार नवरात्रि पड़ता है, जिसमें नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूर्ण श्रद्धा से पूजा की जाती है.
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सड़क पर बहता पानी खोल रही थी व्यवस्था की पोल

चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन से हिंदू नववर्ष के शुभारंभ के अवसर पर जब नौरंगराय सूर्यादेवी सरस्वती शिशु विद्या मंदिर के विद्यार्थी शोभा यात्रा निकालकर लोगों को शुभकामनाएं दे रहे थे. उसी समय चांडिल बाजार में प्रशासनिक सुव्यवस्था की पोल खुलती जा रही थी. पूरे अनुमंडल का हृदयस्थली कहे जाने वाले चांडिल बाजार में सड़क पर बहता नाली का गंदा पानी चांडिल में व्यवस्था की पोल खोल रही थी. जमशेदपुर को धनबाद, बोकारो के अलावा पश्चिम बंगाल के पुरुलिया, आसनसोल, दुर्गापुर को जोड़ने वाली एनएच 32 पर नाली का गंदा पानी बहना जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यशैली को दर्शा रहा है. बच्चों को शोभा यात्रा के दौरान नाक सिकुड़ते हुए नाली के गंदे पानी से ही गुजरना पड़ा.
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