नियमों की उड़ रहीं धज्जियां, हर 2 साल पर वार्डन को रोटेशन पर बदलने का है प्रावधान
Abhay Verma
Giridih : शिक्षा विभाग के सारे नियम कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय धनवार में आकर थम जाते हैं. गिरिडीह जिले में कुल 12 कस्तूरबा विद्यालय हैं. प्रावधान के अनुसार, सभी विद्यालयों में रोटेशन के आधार पर हर 2 साल में वार्डन को बदल देना है. लेकिन कस्तूरबा विद्यालय धनवार में वार्डन पद पर निवेदिता कुमारी पिछले 12 वर्षों से जमी हुई हैं. डीईओ व जिले के डीसी का इस पर कोई ध्यान नहीं है. जबकि जिले के बाकी 11 कस्तूरबा विद्यालयों में वार्डन को प्रत्येक दो साल पर बदल दिया जाता है.
जिले के शहरी क्षेत्र सहित डुमरी, पीरटांड़, गांवा, तिसरी, बगोदर, जमुआ, देवरी, गांडेय, बेंगाबाद व धनवार प्रखंड में कस्तूरबा विद्यालय की शुरुआत वर्ष 2006 में हुई थी. इन विद्यालयों में वर्ष 2008 से रोटेशन के अधार पर वार्डन बदलने की शुरुआत हुई. विभागीय प्रावधान के अनुसार विद्यालय में पहली बार भाषा विषय की शिक्षिका को वार्डन बनाया जाता है. इसके बाद क्रमश. गणित, विज्ञान, एसएसटी विषय की शिक्षिका वार्डन बनाई जाती हैं. करीब डेढ़ दशक में धनवार कस्तूरबा को छोड़ बाकी सभी कस्तूरबा विद्यालयों में रोटेशन के हिसाब से वार्डन बदली गईं. लेकिन धनवार को यूं ही छोड़ दिया गया.
विभागीय अधिकारी बदलते गए, पर नहीं बदलीं वार्डन
विगत 12 वर्षों में जिले में शिक्षा विभाग के कई अधिकारी आए और गए, पर कस्तूरबा विद्यालय धनवार की वार्डन निवेदिता कुमारी की कुर्सी पर कभी आंच नहीं आई. सूत्रों की मानें, तो नेताओं का वरदहस्त रहने के कारण निवेदिता की कुर्सी खिसकाने की कोई हिमाकत नहीं करता. विभागीय अधिकारी भी इससे बचते हैं. यही कारण है कि वार्डन की कुर्सी पर निवेदिता जमी हुई हैं. राजनीतिक हस्ती की वरदहस्त प्राप्त शिक्षिका को बदलने का जोखिम कोई उठाना नहीं चाहता. सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या विभागीय अधिकारियों पर भी वार्डन भारी हैं?
मामले की मुझे जानकारी नहीं, जांच के बाद की जाएगी कार्रवाई : डीईओ

इस संबंध में पूछे जाने पर जिला शिक्षा पदाधिकारी नीलम आइलीन टोप्पो ने कहा कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है. वार्डन को हर दो साल पर रोटेशन के तहत बदलने का प्रावधान. कस्तूरबा विद्यालय धनवार की वार्डन निवेदिता कुमारी 12 वर्षों से पद पर कैसे बनी हुई हैं इसकी जांच की जाएगी. इसके बाद मामले में कार्यवाही की जाएगी.
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