Bahragora (Himangshu Karan) : बहरागोड़ा प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न गांव से आए हुए मानकी-मुंडा अपनी विभिन्न मांगों को लेकर लगभग 100 किलोमीटर दूर अवस्थित उपायुक्त कार्यालय के लिए पैदल यात्रा पर रविवार की दोपहर निकले. एन एच 49 एवं एन एच 18 के संगम स्थल पर अवस्थित वीनापाणी मैदान से विधिवत पारम्परिक तरीके से देहुरी द्वारा पूजा अर्चना के बाद महापुरुषों भगवान बिरसा मुंडा, वीर शहीद पोटो हो, वीर शहीद गंगानारायण सिंह, सिद्धू कान्हू को श्रद्धांजलि अर्पित कर अतिथियों ने संयुक्त रूप से यात्रा शुरू की. यह यात्रा 18 अक्टूबर को साकची उपायुक्त कार्यालय पहुंचकर समाप्त होगी. इस यात्रा के लिए सैकड़ों लोग हाथों में अपनी विभिन्न मांगों की लिखी हुई तख्तियां लेकर चल रहे थे. इसमें सात सूत्री मांगो को लेकर चार दिवसीय मानकी-मुंडा अधिकार पदयात्रा का नेतृत्व जिलाध्यक्ष सह मानकी रोशन पूर्ति कर रहे हैं. वर्षों पुरानी मानकी मुंडा संघ आदिवासी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के विल्किंसन /छोटानागपुर कास्तकारी अधिनियम 1908 के प्रावधानों के तहत कार्य कर रही है. पदयात्रा का उद्धघाटन झामुमो केंद्रीय महासचिव बाबूलाल सोरेन, पूर्व डिप्टी स्पीकर देवेंद्र नाथ चम्पिया, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर दिनेश कुमार षाड़ंगी, वरिष्ठ नेत्री डॉ सुनीता देवदूत सोरेन ने हरी झंडी दिखा कर किया.
इसे भी पढ़ें : जमशेदपुर : टाटा मोटर्स अस्पताल में इलाजरत महिला की मौत, प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप
झामुमो केंद्रीय महसचिव बाबूलाल सोरेन ने कहा कि मानकी-मुंडा आदिवासी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था है. सरकार इस स्वशासन व्यवस्था को नजर अंदाज नहीं कर सकती है. जल, जंगल, जमीन इसी से बच सकती है. जमीन बचेगी तो हासा-भाषा भी बचेगा. इसके लिए चाहे राज्य सरकार से लड़ना पड़े या केंद्र सरकार से लड़ना पड़े हम लोग एकजुट होकर लड़ेंगे. पूर्व डिप्टी स्पीकर देवेंद्र नाथ चम्पिया ने कहा की विश्विद्यालय में सभी जनजातीय भाषा ( हो, मुंडा, भूमिज, कुड़ुख, संथाली ) की पढ़ाई सुनिश्चित की जानी चाहिए. अलग से विभाग की स्थापना होनी चाहिए.
इसे भी पढ़ें : कोल्हन विश्वविद्यालय : पीजी द्वितीय व बीएड चौथे सेमेस्टर समेत अन्य परीक्षाओं की तिथि घोषित
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री दिनेश षाड़ंगी ने कहा कि मानकी-मुंडा, ग्राम प्रधान को जो मानदेय पश्चिम सिंहभूम में दिया जा रहा वह पूर्वी सिंहभूम के मानकी मुंडा, ग्राम प्रधान को भी दिया जाना चाहिए. पद्मश्री डॉ जनुम सिंह सोय ने कहा कि साहित्य अकादमी और जनजातीय भाषा की स्थापना हो ताकि उनका साहित्य बचा रहे.
इसे भी पढ़ें : घाटशिला : अनियंत्रित टेम्पो ने बाइक को ठोका, व्यक्ति की मौत, महिला जख्मी
मानकी-मुंडा की सात सूत्री मांगें
1. पूर्वी सिंहभूम के मानकी -मुंडा, डाकुवा, घटवाल, सरदार, नाईक,दिउरी/पाहन /लाया आदि को सम्मान राशि अविलम्ब दी जाए .
2. “हो, मुंडारी, कुड़ुख,संथाली भाषा को झारखंड का प्रथम राजभाषा का दर्जा दिया जाए.
3. भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में हो, मुंडारी, भूमिज, कुड़ुख भाषा को शामिल किया जाए.
4. कोल्हान विश्विद्यालय में महाविद्यालय में जनजातीय विषयों (हो, मुंडारी, भूमिज, कुड़ुख, संथाली) के शिक्षकों (Backlog) रिक्त पदों को अविलम्ब नियुक्त किया जाए.
5. हो, मुंडारी, भूमिज, कुड़ुख, संथाली भाषा एकेडमी गठित हो.
6. केंद्र सरकार वन संरक्षण अधिनियम 2023 को रद्द करे.
7. राज्य सरकार पेसा कानून अधिनियम 1996 एवं आदिवासी सलाहकार परिषद् उपविधि अविलम्ब बनाया जाए.
[wpse_comments_template]