Ranchi: दुनियाभर में इन दिनों तेजी से किडनी से संबंधित बीमारियां बढ़ रही हैं. इस गंभीर बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से हर साल मार्च के दूसरे गुरुवार को वर्ल्ड किडनी डे मनाया जाता है. इस साल का किडनी डे थीम है-किडनी हेल्थ फॉर ऑल है. इसी कड़ी में गुरुवार को किडनी की बढ़ती बीमारियों के विषय में लोगों को जागरूक करने के लिए रिम्स में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यह कार्यक्रम रिम्स के नेफ्रोलॉजी विभाग और इकोलॉजिकल सोसाइटी के द्वारा आयोजित कि गई थी. कार्यक्रम की शुरुआत नुक्कड़ नाटक से हुई. रिम्स में पढ रहे एमबीबीएस के छात्रों द्वारा नुक्कड़ नाटक ट्रामा सेंटर परिसर और ओपीडी कॉम्पलेक्स में प्रस्तुत किया गया. नुक्कड़ नाटक के जरिये छात्रों ने किडनी की बीमारी से कैसे बचें और अंगदान से जुड़ी भ्रांतियों के बारे में जानकारी दी और लोगों को जागरूक किया. इसके बाद नारे और पोस्टर के साथ रैली निकाली गयी जो ट्रामा सेंटर से शुरू होकर मुख्य अस्पताल परिसर होते हुए अकादमिक भवन तक गई. एकादमिक भवन में रंगोली और पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रिम्स निदेशक प्रो डॉ राजकुमार ने कहा कि किडनी की बीमारियों से बचने के लिए जागरूकता जरूरी है. जैसे एक दिन में कितना पानी पीना चाहिए या नमक की सही मात्रा क्या है, इत्यादि इसके अलावा लक्षित दर्शक के अनुरूप जागरूकता की जानकारी को संशोधित करना चाहिए, ताकि ज्यादा लोग आपकी बात से सहमत हों.
इमरजेंसी फिजिशियन डॉ शुभम शेखर बतायी अहम बातें
क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी): यह एक दीर्घकालिक स्थिति है. जहां किडनी समय के साथ धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती है. सामान्य कारणों में उच्च रक्तचाप, मधुमेह और अन्य स्थितियां शामिल हैं, जो किडनी में रक्त के प्रवाह को प्रभावित करती हैं.
तीव्र किडनी चोट (एकेआई): यह किडनी की कार्यक्षमता में अचानक कमी है जो अक्सर गंभीर संक्रमण, निर्जलीकरण या दवा के दुष्प्रभावों के कारण होती है.
गुर्दे की पथरी: ये कठोर जमाव है जो गुर्दे में बनते हैं, और गंभीर दर्द और पेशाब करने में कठिनाई पैदा कर सकती है.
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग (पीकेडी): यह एक वंशानुगत स्थिति है जहां किडनी के भीतर सिस्ट विकसित हो जाते हैं, जो अंततः किडनी की विफलता का कारण बनते हैं.
कुछ अहम सुझाव
हाइड्रेटेड रहें: भरपूर पानी पीने से किडनी को विषाक्त पदार्थों और अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकालने में मदद मिलती है.
स्वस्थ आहार लें: इसमें भरपूर मात्रा में फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन शामिल हैं. नमक, चीनी और संतृप्त वसा सीमित करें.
रक्तचाप को प्रबंधित करें: उच्च रक्तचाप समय के साथ किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है. स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, निर्धारित दवाएं लें और नियमित रूप से अपने रक्तचाप की निगरानी करें.
रक्त शर्करा को नियंत्रित करें: यदि आपको मधुमेह है, तो गुर्दे की क्षति को रोकने के लिए अपने रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है.
स्वस्थ वजन बनाए रखें: मोटापा गुर्दे की बीमारी के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है. आहार और व्यायाम के माध्यम से स्वस्थ वजन का लक्ष्य रखें.
धूम्रपान से बचें: धूम्रपान से किडनी की बीमारी हो सकती है और वो खराब हो सकती है. इसके अलावा किडनी के कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है.
शराब सीमित करें: अत्यधिक शराब का सेवन किडनी पर दबाव डाल सकता है. कम मात्रा में पीएं या शराब से परहेज करें.
नियमित रूप से व्यायाम करें: शारीरिक गतिविधि समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करती है, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी गुर्दे की बीमारी में योगदान देने वाली स्थितियों के जोखिम को कम कर सकती है.
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