LagatarDesk : साउथ कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल मंगलवार देर रात टेलीविजन पर प्रसारित राष्ट्र के नाम संबोधन में “आपातकालीन” मार्शल लॉ की घोषणा की, जिसमें उन्होंने विपक्ष पर “राज्य-विरोधी” गतिविधियों के साथ सरकार को “पंगु” करने का आरोप लगाया. राष्ट्रपति के इस आदेश के बाद दक्षिण कोरिया की संसद में सदस्यों की एंट्री रोक दी गयी. वहीं राष्ट्रपति की ओर से घोषित मार्शल लॉ का नेशनल असेंबली में कड़ा विरोध किया गया. भारी विरोध के बाद संसद ने राष्ट्रपति के फैसले को पलटते हुए इसे (मार्शल लॉ) अमान्य करार दिया. देर रात सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों दलों के 300 में से 190 सांसदों ने सर्वसम्मति से मार्शल लॉ को हटाने के लिए मतदान किया. हजारों की संख्या में लोग राष्ट्रपति यून के आदेश के विरोध में सड़कों पर उतर आये. हालात इतने बिगड़ गये कि सड़कों पर टैंक उतारने पड़े. शुरुआत में तो राष्ट्रपति अपने फैसले पर अड़े रहे. लेकिन हालात बेकाबू होता देख करीब छह घंटे बाद राष्ट्रपति ने अपना फैसला बदल दिया और मार्शल लॉ हटाने की घोषणा की. करीब 44 साल बाद दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ की घोषणा की गयी थी. इससे पहले साल 1980 में छात्रों और श्रमिक संघों के नेतृत्व में एक राष्ट्रव्यापी विद्रोह के दौरान दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लगाया था.
South Korean president says he will lift martial law following Cabinet meeting that's expected within hours, reports AP
— Press Trust of India (@PTI_News) December 3, 2024
डेमोक्रेटिक पार्टी की मांग, इस्तीफा दें राष्ट्रपति यून
इधर दक्षिण कोरिया के मुख्य विपक्षी दल डेमोक्रेटिक पार्टी (डीपी) ने बुधवार को राष्ट्रपति यून सुक योल से तत्काल पद छोड़ने की मांग की. डेमोक्रेटिक पार्टी ने नेशनल असेंबली में अपने सांसदों की एक आपातकालीन बैठक के बाद घोषणा की कि अगर वह खुद पद नहीं छोड़ते तो वह राष्ट्रपति यून के महाभियोग की प्रक्रिया तुरंत शुरू कर देगी. डीपी ने अपने प्रस्ताव में कहा कि यून द्वारा मार्शल लॉ की घोषणा संविधान का स्पष्ट उल्लंघन है. साथ ही, इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रपति यून सुक योल मार्शल लॉ घोषित करने की किसी भी आवश्यकता का पालन करने में विफल रहे. इसमें कहा गया कि यह विद्रोह का एक गंभीर कृत्य है और महाभियोग के लिए एक आदर्श कारण है. विपक्षी नेता ली जे-म्युंग ने भी मार्शल लॉ की घोषणा को अवैध और असंवैधानिक बताया. उन्होंने कहा कि डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता और अन्य लोग राष्ट्रीय असेंबली और देश की रक्षा के लिए हर कीमत चुकाने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि इसके लिए अगर जान भी देनी पड़े तो दे देंगे.
South Korea's opposition party urges President Yoon to resign or face impeachment over martial law decree, reports AP
— Press Trust of India (@PTI_News) December 4, 2024
राष्ट्रपति ने स्थगित की अहम बैठक
इधर राष्ट्रपति यून सुक योल ने आज बुधवार को ड्रग नियंत्रण उपायों की समीक्षा को लेकर होने वाली बैठक स्थगित कर दी है. राष्ट्रपति ऑफिस के एक अधिकारी ने बताया कि ड्रग कंट्रोल से जुड़े उपायों की वर्तमान स्थिति का आकलन करने के लिए बैठक, जो मूल रूप से राष्ट्रपति ऑफिस में होने वाली थी, को रिसिड्यूल किया गया है.
चीफ ऑफ स्टाफ की अध्यक्षता में अफसरों का इस्तीफा
मार्शल लॉ लगाने और फिर उसे हटाने के बाद वहां आरोप-प्रत्यारोप के साथ इस्तीफे का दौर शुरू हो गया है. राष्ट्रपति ऑफिस के चीफ ऑफ स्टाफ सहित कई अधिकारियों ने आज बुधवार सुबह सामूहिक रूप से इस्तीफे दे दिया है. राष्ट्रपति ऑफिस के अनुसार, “चीफ ऑफ स्टाफ और वरिष्ठ सचिवों ने सामूहिक रूप से अपने इस्तीफे की पेशकश की है. चीफ ऑफ स्टाफ चुंग जिन-सुक की अध्यक्षता में आज सुबह वरिष्ठ सचिवों की बैठक हुई, जिसमें इस्तीफा देने पर आम सहमति बनी.
बहुमत में होने की वजह से डीपी राष्ट्रपति के कार्यों में कर रहा था दखलअंदाजी
बता दें कि दक्षिण कोरिया की संसद में कुल 300 सीटें हैं. 2024 में हुए चुनाव में जनता ने विपक्षी दल डीपी को भारी जनादेश दिया था. विपक्षी पार्टी डीपी को 170 सीटें मिली थीं. वहीं सत्ताधारी पीपल पावर को महज 108 सीटें मिली थी. बहुमत में होने की वजह से विपक्षी DPK कथित तौर पर राष्ट्रपति के कार्यों में दखलअंदाजी कर रहा था. इसकी वजह से राष्ट्रपति अपने एजेंडे के मुताबिक काम नहीं कर पा रहे थे. राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में भी यह बात कही थी. साथ ही उन्होंने डीपी पर उत्तर कोरिया के साथ सहानुभूति रखने और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया था. इन सबसे निपटने के लिए राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लगा दिया.
2022 के बाद से लगातार घट रही है यून सुक योल की लोकप्रियता
राष्ट्रपति योल को 2022 में जीत मिली थी. हालांकि मामूली अंतर से ही वो जीते थे. इसके बाद से उनकी लोकप्रियता लगातार कम हो रही है. उनकी पत्नी के कई विवादों में फंसने की वजह से भी उनकी इमेज पर असर पड़ा. फिलहाल राष्ट्रपति की लोकप्रियता 25% के करीब है, जो कि देश के तमाम राष्ट्रपतियों में सबसे कम है.