11A चमत्कारी सीट : दो विमान हादसे, दो जिंदगियां बचीं और एक ही सीट

New Delhi :  एक सीट, दो हादसे, और दो जिंदगियां...क्या यह सिर्फ इत्तेफाक है या कोई रहस्य? हवाई जहाज में कोई सीट भाग्यशाली हो सकती है, ये सुनकर शायद आप मुस्कुरा दें. लेकिन जब दो अलग-अलग विमान हादसों में सिर्फ एक-एक शख्स बचता है और वो दोनों ही एक ही सीट 11A पर बैठे हों तो यह महज इत्तेफाक नहीं लगता, बल्कि किसी चमत्कार की तरह लगता है. थाई अभिनेता रुआंगसाक लोइचुसाक और ब्रिटिश नागरिक विश्वश कुमार रमेश की जिंदगियों को जोड़ती है यही रहस्यमयी सीट (11A), जिसने दोनों को मौत के मुंह से खींच लाया. इस कहानी ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि वाकई कुछ रहस्य ऐसे होते हैं, जो विज्ञान और तर्क से परे होते हैं. 

 

 

विमान हादसे के बारे में जानकर रुआंगसाक के हुए रोंगटे खड़े

जब रुआंगसाक लोइचुसाक को यह पता चला कि भारत में हाल ही में हुए एयर इंडिया विमान हादसे में केवल एक ही यात्री (विश्वश कुमार रमेश) जीवित बचा है और वह भी उसी सीट पर बैठा था (11A), जिस पर वो खुद 27 साल पहले एक विमान दुर्घटना में बैठे थे और बच गए थे, तो उनके रोंगटे खड़े हो गए. यह अजीब संयोग उन्हें एक बार फिर उस डरावने पल की याद दिला गया, जब उन्होंने मौत को बेहद करीब से देखा था. 

 

मेरी दुआएं उन परिवारों के साथ है, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया

रुआंगसाक ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि भारत में हुए एक विमान हादसे का इकलौता सर्वाइवर, वो भी मेरी ही सीट पर बैठा था 11A. बताया कि 1998 की दुर्घटना के बाद उन्होंने करीब एक दशक तक विमान यात्रा नहीं की. वह कई मौकों पर सार्वजनिक रूप से अपने ट्रॉमा और सर्वाइवर गिल्ट के बारे में बात कर चुके हैं. उन्होंने एयर इंडिया हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना जताते हुए कहा कि  मैं जानता हूं वो दर्द क्या होता है. मेरी दुआएं उन परिवारों के साथ है, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया.

 

27 साल पहले बची थी रुआंगसाक की जान

इंडिया टू़डे के अनुसार,  11 दिसंबर 1998 को 20 वर्षीय रुआंगसाक थाई एयरवेज की फ्लाइट TG261 में सफर कर रहे थे. यह विमान दक्षिणी थाईलैंड के सूरत थानी एयरपोर्ट पर लैंड करने की कोशिश कर रहा था. लेकिन एक दलदल में गिर गया था. इस हादसे में 146 में से 101 लोगों की मौत हो गई, लेकिन रुआंगसाक उन कुछ यात्रियों में से एक थे, जो चमत्कारिक रूप से बच गए थे. 

 

242 यात्री में सिर्फ विश्वश रमेश जिंदा बचे 

बीते हफ्ते, एयर इंडिया का बोइंग ड्रीमलाइनर विमान अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भर रही थी. लेकिन टेक-ऑफ करने के कुछ ही मिनटों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी.  विमान में 242 लोग सवार थे, लेकिन उनमें से केवल एक ही यात्री विश्वश रमेश, जो ब्रिटिश नागरिक हैं, जीवित बच पाए. रमेश, जो इमरजेंसी एग्जिट वाली सीट 11A पर बैठे थे, विमान के टकराते ही बाहर गिर गये, जिसकी वजह से उनकी जान बच गयी. अस्पताल में भर्ती रमेश ने बताया कि कुछ देर लगा जैसे मैं मर जाऊंगा. लेकिन जब होश आया तो देखा कि मैं जिंदा हूं. खुद को सीट बेल्ट से अलग किया और जहां से हो सका, बाहर निकलने की कोशिश की. 

 

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ सीट 11A चमत्कार

इन दोनों घटनाओं के बीच अजीब समानता एक ही सीट नंबर और चमत्कारिक बचाव ने दुनियाभर में लोगों को हैरत में डाल दिया है. सोशल मीडिया पर सीट 11A को लेकर बढ़ती दिलचस्पी और चर्चाएं जारी हैं. कुछ यात्री अब अपनी अगली उड़ानों में 11A सीट बुक करने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं. 

 

क्या यह सिर्फ इत्तेफाक है... या कुछ और?

दो अलग-अलग देश, दो भीषण विमान हादसे, दो लोग जो अकेले बचे और एक ही सीट 11A. क्या यह महज़ संयोग है? या फिर सीट 11A के साथ वाकई कोई रहस्यमयी कहानी जुड़ी है? यह सवाल अब लोगों के जेहन में घर कर गया है, और सीट 11A अब रहस्य, चमत्कार और बहस का विषय बन चुकी है.