माओवादी संगठन के 13 शीर्ष नेता पुलिस के निशाने पर, पकड़े या मारे जाने पर नक्सल मुक्त होगा कोल्हान!

Ranchi :   कोल्हान और सारंडा के जंगलों में सक्रिय भाकपा माओवादी संगठन के 13 शीर्ष नेता अब पुलिस और सुरक्षा बलों के सीधे निशाने पर हैं. पुलिस का मानना है कि यदि इन नेताओं को गिरफ्तार या मुठभेड़ में ढेर किया जाता है, तो कोल्हान क्षेत्र नक्सल मुक्त हो जाएगा. 

 

82 सक्रिय नक्सली, करोड़ों के इनामी शामिल

गौरतलब है कि चाईबासा जिले के जराईकेला और छोटानागरा इलाके में 1 करोड़ इनामी मिसिर बेसरा व पतिराम मांझी, 15 लाख इनामी अमित मुंडा व मेहनत और 25 लाख इनामी अजय महतो व अनमोल जैसे इनामी नक्सली अपने गिरोह के साथ सक्रिय हैं. कुल 82 माओवादी इन क्षेत्रों के जंगलों में छिपकर गतिविधियां चला रहे हैं. 

 

लगातार अभियान, बरामद हो रहे विस्फोटक और ध्वस्त हो रहे बंकर

सुरक्षा बलों द्वारा इन इलाकों में छिपे नक्सलियों के खिलाफ लगातार ऑपरेशन चलाया जा रहा है. इस दौरान एक तरफ जहां नक्सलियों द्वारा छिपाए गए विस्फोटक बरामद हो रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ सुरक्षाबलों द्वारा नक्सलियों के बंकरों को ध्वस्त किए जा रहे हैं. 

 

पुलिस के रडार पर हैं ये 13 बड़े नक्सली नेता :

  • - मिसिर बेसरा
  • - पतिराम मांझी
  • - असीम मंडल
  • - अनमोल
  • - मोछु
  • - अजय महतो
  • - सागेन अंगरिया
  • - अश्विन
  • - पिंटू लोहरा
  • - चंदन लोहरा
  • - अमित हांसदा
  • - जयकांत
  • - रापा मुंडा

 

राज्य में सिर्फ 111 माओवादी बचे, 100 के पास हथियार

पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड के चाईबासा जिले में भाकपा माओवादी का सबसे बड़ा दस्ता सक्रिय हैं, जिनमें कुल 82 नक्सली है. वहीं झारखंड में अब भाकपा माओवादी के केवल 111 सदस्य बचे हैं, जिनमें से लगभग 100 के पास ही हथियार है. 

 

आमने-सामने की लड़ाई से बच रहे नक्सली

झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई तेज है. इस बीच नक्सल विरोधी अभियान को लेकर चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो सुरक्षा बलों की तेजी से बढ़ती मौजूदगी, नए कैंप और फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (FOB) की स्थापना से माओवादी बौखलाए हुए हैं. वे अब आमने-सामने की लड़ाई से बच रहे हैं और IED ब्लास्ट के जरिए जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं.

 

पुलिस को जानकारी मिली है कि नक्सली नक्सली पांच तरह के आईईडी ब्लास्ट कर रहे हैं.  इनमें 1.95 डेस्क टाइमर भी एक है.  सुरक्षाबल द्वारा चलाये जा रहे अभियान के चलते नक्सलियों के सामने नयी भर्ती का भी संकट खड़ा हो गया है.