चांडिल : स्वस्थ्य हुए महाप्रभु, नव यौवन रूप के दर्शन के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़

Dilip Kumar

 

Chandil : चांडिल स्थित श्रीसाधु बांध मठिया दशनामी नागा सन्यासी आश्रम में बुधवार को महाप्रभु जगन्नाथ के नेत्र उत्सव के साथ उनके नव यौवन रूप के दर्शन की रश्म पूरी की गई. इस अवसर पर पुरोहितों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ महाप्रभु जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की पूजा-अर्चना की. इस बीच मंदिर परिसर में भक्तों ने जय जगन्नथ के जयकारे और शंखध्वनि के साथ तीनों विग्रहों के दर्शन किए. वहीं एक पखवड़े के बाद भसक्तों के लिए मंदिर के कपाट खोले गए. नेत्र उत्सव में जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमहंत विद्यानंद सरस्वती, महंत इंद्रनंद सरस्वती, महंत मेघानंद सरस्वती, महंत केशवानंद सरस्वती समेत बड़ी संख्या में भक्त शामिल हुए.

 

Uploaded Image

 

जेष्ठ पूर्णिमा के दिन मनाए जाने वाले स्नान यात्रा उत्सव के दिन महाप्रभु, बड़े भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा और सुदर्शन जी 108 घड़े के पानी से स्नान करने के कारण बीमार पड़ गए थे. स्नान यात्रा उत्सव के दौरान शीतल जल से स्नान करने के कारण महाप्रभु बीमार पड़ जाते हैं. स्नान यात्रा के बाद बीमार पड़ने पर महाप्रभु को एकांतवास में रखा जाता है. बीमार पड़ने के कारण महाप्रभु का मंदिर के अणसर गूह में 14 दिनों तक एकांतवास में रखकर चिकित्सा किया गया. दो सप्ताह तक एकांतवास में रहकर जड़ी-बूटी से दवा आदि बनाकर इलाज कराने के बाद महाप्रभु स्वस्थ्य होते हैं. इस अवसर बुधवार को मंदिर परिसर में नेत्र उत्सव मनाया गया. मौके पर बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे.

 

आषाढ़ शुक्ल द्वितीय के दिन 27 जून को रथ यात्रा का महापर्व धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. चांडिल में निकाले जाने वाला रथ की सबसे खास बात है कि यहां नागा संन्यासियों द्वारा रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है. चांडिल स्थित श्रीसाधु बांध मठिया दशनामी नागा सन्यासी आश्रम से निकाले जाने वाला रथ यात्रा अंग्रेजी शासन के समय शुरू हुआ था, लेकिन रथ यात्रा को नई पहचान मठ के ब्रह्मलीन महंत परमानंद सरस्वती ने दिलाई थी. उन्होंने वर्ष 1980 से तीन अलग-अलग रथों पर प्रभु जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा का रथ यात्रा निकालने की परंपरा शुरू की. इस परंपरा को जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमहंत विद्यानंद सरस्वती ने नया मुकाम देकर अब इसका नेतृत्व कर रहे हैं.