Ranchi: झारखंड में दो वर्षों के इंतजार के बाद एक बार फिर मुख्यमंत्री ट्रैक्टर वितरण योजना की शुरुआत हो गई है. राजधानी रांची के खेलगांव स्थित हरिवंश टाना भगत इंडोर स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने 4 करोड़ रुपए की लागत से खरीदे गए विभिन्न कृषि यंत्रों का वितरण किया. इनमें बड़ा ट्रैक्टर, मिनी ट्रैक्टर, सोलर पंप सेट, नॉर्मल पंप सेट सहित कई यंत्र शामिल हैं.
कार्यक्रम में महिला समूहों की सक्रिय भागीदारी खास चर्चा का विषय रही. महिलाओं को ट्रैक्टर चलाने का विशेष प्रशिक्षण विभाग द्वारा दिया गया है, जो ग्रामीण महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है. कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग की मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि मुख्यमंत्री ट्रैक्टर योजना किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें मजदूर से व्यापारी की दिशा में आगे बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगी. उन्होंने बताया कि मंत्री पद संभालने के बाद लगातार ग्रामीण इलाकों से इस योजना को पुनः शुरू करने की मांग मिल रही थी, जिसे अब धरातल पर उतार दिया गया है.
मंत्री ने किसानों को योजनाओं की जानकारी रखने और बिचौलियों से सतर्क रहने की सलाह दी. उन्होंने कहा योजना शुरू होते ही कुछ असामाजिक तत्व किसानों को फोन कर धोखाधड़ी की कोशिश करते है. किसानों को किसी भी अनजान कॉल या ऑनलाइन पेमेंट के झांसे में नहीं आने की अपील की गई.
इस योजना के तहत सरकार बड़े ट्रैक्टर पर 50 प्रतिशत और मिनी ट्रैक्टर पर 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दे रही है. लाभ पाने के लिए योग्य किसानों को अपने एस्क्रो अकाउंट में निर्धारित अंशदान जमा करना होगा. मौके पर कांके विधायक सुरेश बैठा ने भी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य की कृषि मंत्री किसानों के हित में ठोस कार्य कर रही हैं.
इन्होंने कहा कि विभाग मछली पालन, दूध उत्पादन, गाय, मुर्गी और बत्तख वितरण के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में लगातार काम कर रहा है. दो साल से बंद पड़ी ट्रैक्टर योजना को पुनः शुरू कर मंत्री ने किसानों की उम्मीदों को पूरा किया है.
कार्यक्रम में मंच से 32 बड़े ट्रैक्टर, 2 मिनी ट्रैक्टर, 2 सोलर पंप सेट और 55 नॉर्मल पंप सेट लाभुकों को सौंपे गए. कार्यक्रम में भूमि संरक्षण निदेशालय के निदेशक अशोक सम्राट, संयुक्त सचिव रविशंकर विद्यार्थी, समेति निदेशक विकास कुमार, कार्यपालक निदेशक आर. पी. सिंह और विभिन्न जिलों के भूमि संरक्षण पदाधिकारी उपस्थित थे.