Ranchi : झारखंड मिथिला मंच (जानकी प्रकोष्ठ) के तत्वावधान में रविवार को मंच कार्यालय परिसर, अरगोड़ा में पारंपरिक रीति-रिवाज और हर्षोल्लास के साथ मधुश्रावणी महोत्सव संपन्न हुआ. कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक मंगलगान जय जय भैरवी असुर भयावनी से की गई, जिसने वातावरण को भक्तिमय बना दिया. इसके बाद नवविवाहिताओं ने पारंपरिक फूल लोढ़ी डाला की सुंदर सजावट की. श्रेया चौधरी, प्रतिक्षा झा और निधि झा ने अपने मधुश्रावणी अनुभव साझा कर सभी को भावविभोर कर दिया.
मधुश्रावणी पर्व के महत्व पर हुआ मंथन
मुख्य अतिथि अरुंधति झा और किरण झा ने मधुश्रावणी पर्व के धार्मिक, सांस्कृतिक एवं वैज्ञानिक महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि यह पर्व नवविवाहिता को पारिवारिक जीवन में सुख, समृद्धि और मूल्यों के साथ जोड़ता है और यह मिथिला की नारी संस्कृति की आत्मा है.
नारी नेतृत्व में हुआ आयोजन
कार्यक्रम का संचालन जानकी प्रकोष्ठ की महासचिव निशा झा और कोषाध्यक्ष उषा पाठक ने किया. दोनों ने आयोजन को सफल बनाने में समर्पण और संगठन की मिसाल पेश की.
लोकगीतों में झलकी मिथिला की सांस्कृतिक
कार्यक्रम के दौरान पारंपरिक वेशभूषा में सजी महिलाओं ने लोकगीतों की प्रस्तुति से माहौल को सांस्कृतिक रंग में रंग दिया. प्रसिद्ध गायक प्रवीण मिश्रा ने एक से बढ़कर एक पारंपरिक गीतों की प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया.
संगठित सहभागिता बनी आकर्षण का केंद्र
कार्यक्रम में जानकी प्रकोष्ठ की दर्जनों सक्रिय सदस्यों पूनम झा, सबिता मिश्रा, अवंतिका झा, वर्षा आनंद, प्रमिला मिश्रा, स्मिता झा, रंजना झा, सुप्रिता झा, पूजा झा, डॉ. बसुधा झा, सीमा झा, रानी झा, आशा चौधरी, अनुराधा चौधरी, ज्योति कुमारी ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और कार्यक्रम को जीवंत बनाया.
सम्मान एवं उपहारों के साथ हुआ समापन
सभी प्रतिभागियों को झारखंड मिथिला मंच की ओर से स्मृति चिह्न और उपहार प्रदान किए गए. साथ ही, उपस्थित अतिथियों को परंपरागत अल्पाहार, पान व प्रसाद भेंट स्वरूप प्रदान किया गया. कार्यक्रम के अंत में महासचिव निशा झा ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों और सहयोगियों के प्रति सादर आभार प्रकट किया तथा भविष्य में ऐसे आयोजनों को और भव्यता के साथ आयोजित करने का संकल्प लिया।