New Delhi : गाजा में तबाही और अब ईरान के खिलाफ बिना उकसावे के बढ़ते तनाव पर नयी दिल्ली(मोदी सरकार) की चुप्पी हमारी नैतिक और कूटनीतिक परंपराओं से विचलित करने वाली विदाई को दर्शाती है. यह न केवल हमारे दृष्टिकोण को दर्शाता है, बल्कि मूल्यों के समर्पण को भी दर्शाता है. अभी भी बहुत देर नहीं हुई है.
"New Delhi's silence on the devastation in Gaza and now on the unprovoked escalation against Iran reflects a disturbing departure from our moral and diplomatic traditions. This represents not just a loss of voice but also a surrender of values.
— Congress (@INCIndia) June 21, 2025
It is still not too late. India… pic.twitter.com/tvLCQvA2bN
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने ईरान-इजरायल के बीच जारी संघर्ष पर भारत(मोदी) सरकार की चुप्पी को लेकर शुक्रवार को द हिंदू में लिखे लेख में कहा कि भारत को स्पष्ट रूप से बोलना चाहिए. जिम्मेदारी से काम करना चाहिए.
उन्होंने लिखा कि सरकार को तनाव को कम करने और पश्चिम एशिया में बातचीत की वापसी को बढ़ावा देने के लिए हर उपलब्ध कूटनीतिक चैनल का उपयोग करना चाहिए. सोनिया ने इसे एक कूटनीतिक चूक और भारत की नैतिक और रणनीतिक परंपराओं से विचलन करार दिया है.
अपने लेख में सोनिया गांधी ने इजरायल द्वारा 13 जून को ईरानी सैन्य ठिकानों पर किये गये हवाई हमलों को अवैध और संप्रभुता का उल्लंघन करार दिया है. सोनिया गांधी ने लिखा है कि कांग्रेस ने इन बमबारी और टारगेट किलिंग की निंदा की है जो ईरानी जमीन पर की गयी. उन्होंने इजरायल की गाजा में चल रही सैन्य कार्रवाई को भी क्रूर और असंतुलित बताते हुए उसकी आलोचना की.
सोनिया गांधी ने भारत सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा, भारत की चुप्पी केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि एक नैतिक विफलता है. सोनिया गांधी ने याद दिलाया कि भारत ने ऐतिहासिक रूप से ईरान और इजरायल दोनों से गहरे संबंध बनाये हैं.
सोनिया गांधी ने कहा कि ईरान ने 1994 में UN में कश्मीर मुद्दे पर भारत के समर्थन में अहम भूमिका निभाई थी. इसके विपरीत मोदी सरकार ने दो-राष्ट्र समाधान के भारत के लंबे समय से चले आ रहे समर्थन से हटकर, एकतरफा रुख अपनाया है.
सोनिया गांधी ने अपने लेख में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि वह अपनी खुफिया एजेंसियों की राय को नजरअंदाज कर आक्रामक रुख अपना रहे हैं, ट्रंप खुद एंडलेस वॉर के खिलाफ थे, लेकिन अब वे 2003 की इराक वाली गलतियां दोहरा रहे हैं.
सोनिया गांधी के अनुसार इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इस क्षेत्र में संघर्ष को बढ़ावा दिया है. अतीत में उन्होंने शांति प्रयासों को भी बाधित किया है. सोनिया ने 1995 में तत्कालीन पीएम राबिन की हत्या का जिक्र किया.
सोनिया गांधी ने अपने लेख में लिखा है कि गाजा आज भुखमरी के कगार पर है. 55,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं . उन्होंने भारत सरकार से अपील करते हुए लिखा, भारत को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए.
बता दें कि सोनिया गांधी के लेख से कुछ घंटे पूर्व ही भारत में ईरानी उप मिशन प्रमुख मोहम्मद जवाद होसेनी ने इजरायल के हमले को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताते हुए भारत से इसकी निंदा करने का आग्रह किया था.