मिडिल ईस्ट तनाव : ट्रंप की तेहरान खाली करने की सलाह, वैश्विक बाजारों पर असर, तेल की कीमत बढ़ी

Lagatar Desk :  मिडिल ईस्ट में ईरान और इसराइल के बीच जारी टकराव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ईरान को लेकर सख्त रुख अपनाया है. ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल अकाउंट पर चेतावनी देते हुए कहा है कि ईरान को उस परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर कर देने चाहिए थे, जिसकी पेशकश मैंने की थी. यह बेहद शर्मनाक है कि ऐसा नहीं हुआ और अब जानें जा रही हैं. आगे लिखा कि मैंने पहले ही स्पष्ट किया था कि ईरान को परमाणु हथियार नहीं रखने दिया जाएगा.सभी लोगों को तुरंत तेहरान खाली कर देना चाहिए.

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जी-7 शिखर सम्मेलन को बीच में छोड़कर लौट रहे ट्रंप

इधर ट्रंप कनाडा के कानानास्किस में चल रहे जी-7 शिखर सम्मेलन को बीच में ही छोड़कर वापस वॉशिंगटन लौट रहे हैं. व्हाइट हाउस ने इसकी जानकारी दी. प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने सम्मेलन में कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं, जिनमें ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीएर स्टार्मर के साथ एक अहम व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर भी शामिल हैं. यह अमेरिका और ब्रिटेन के बीच एक नया टैरिफ समझौता है. लेकिन मध्य पूर्व में हालात की गंभीरता को देखते हुए ट्रंप ने सम्मेलन के अंतिम डिनर के तुरंत बाद वॉशिंगटन लौटने का फैसला लिया है.

ट्रंप के बयान के बाद तेल की कीमतों में उछाल

डोनाल्ड ट्रंप के ईरान को लेकर दिए गए तीखे बयान का असर सिर्फ कूटनीतिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि वैश्विक आर्थिक बाजारों पर भी साफ दिखने लगा है. ट्रंप की तरफ से तेहरान को तुरंत खाली करने की सलाह और ईरान के परमाणु हथियार न रखने पर दोबारा जोर दिए जाने के बाद मंगलवार को एशियाई बाजारों में तेल की कीमतों में लगभग 2% की तेज़ी दर्ज की गई.

ट्रंप के बयान से यह संकेत गया है कि इजराइल-ईरान संघर्ष जल्द खत्म नहीं होगा, जिससे मध्य पूर्व में अस्थिरता और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. इसका सीधा असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ा है. तनाव गहराने की आशंका के चलते अमेरिकी वायदा बाजार में भी गिरावट देखी गई है, जो इस बात का संकेत है कि निवेशकों में अनिश्चितता और घबराहट दोनों बढ़ी हैं. 

भारत में बढ़ सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम

गौरतलब है कि भारत अपनी तेल जरूरतों का 80% से ज्यादा आयात करता है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का सीधा असर देश की आर्थिक स्थिति पर पड़ता है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही रुझान जारी रहा, तो आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ सकते हैं, जिससे देश में महंगाई पर दबाव बढ़ेगा.

तेल की कीमतें बढ़ी तो अर्थव्यवस्था पर भी बढ़ेगा दबाव

तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर तीन प्रमुख स्तरों पर देखा जा सकता है. आम उपभोक्ता पर इसका सीधा असर महंगाई के रूप में पड़ेगा, क्योंकि परिवहन लागत बढ़ने से खाने-पीने की चीजों समेत रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुएं महंगी हो सकती हैं. उद्योग जगत को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है, क्योंकि लॉजिस्टिक्स खर्च में इजाफा उत्पादन लागत को बढ़ा देगा, जिससे प्रतिस्पर्धा पर असर पड़ेगा. वहीं, सरकार के लिए यह स्थिति वित्तीय दबाव बढ़ाने वाली हो सकती है, क्योंकि सब्सिडी बोझ और आयात बिल में वृद्धि से देश का वित्तीय संतुलन बिगड़ सकता है. विश्लेषकों का कहना है कि आने वाले हफ्तों में अगर यह भू-राजनीतिक तनाव और गहराता है, तो तेल की कीमतें और ऊपर जा सकती हैं, जिससे भारत समेत अन्य आयात-निर्भर देशों की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा.