निलंबित IAS विनय चौबे पर भ्रष्टाचार के कई आरोप, ACB की जांच में गड़बड़ियां हो रहीं उजागर

SAURAV SINGH

 

Ranchi: झारखंड भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की जांच में निलंबित आईएएस अधिकारी विनय चौबे के द्वारा विभिन्न पदों पर पदस्थापित रहने के दौरान कथित रुप से  की गई कई गड़बड़ियां सामने आ रही हैं. शराब घोटाले के मामले में गिरफ्तार चौबे के खिलाफ जैसे-जैसे एसीबी की जांच आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे उनकी पूर्व की कार्यप्रणाली में कई अनियमितताएं उजागर हो रही हैं. एसीबी की जांच का दायरा केवल विनय चौबे तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उनसे जुड़े कई अन्य व्यक्तियों की गड़बड़ियां भी एक के बाद एक सामने आ रही हैं.


डेढ़ साल पहले तक झारखंड की ब्यूरोक्रेसी में प्रभावशाली अधिकारी के रूप में पहचान रखने वाले चौबे के खिलाफ कई गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं, जिसके बाद एसीबी ने उनके खिलाफ अलग-अलग मामलों में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. 


वर्तमान में उनके खिलाफ दो मामलों में जांच चल रही है, और दो अन्य मामलों, हजारीबाग खासमहल भूमि घोटाला और 'गैर मजरुआ खास किस्म जंगल' भूमि घोटाला में एसीबी ने प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति सरकार से मांगी है. सरकार से अनुमति मिलते ही एसीबी इन मामलों में भी प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरु करेगी.

 

विनय चौबे पर गड़बड़ियों के कई आरोप 


एसीबी ने हजारीबाग जिला में 'गैर मजरुआ खास किस्म जंगल' प्रकृति की जमीन, जिसे डीम्ड वन की श्रेणी में रखा गया है, उसमें हुए एक बड़े घोटाले का खुलासा किया है. यह जमीन सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों के तहत संरक्षित वन क्षेत्र मानी जाती है. लेकिन इसे विनय कुमार सिंह और उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह के नाम पर अवैध रूप से दाखिल-खारिज कर दिया गया. यह काम तब हुआ, जब विनय चौबे हजारीबाग में डीसी के पद पर पदस्थापित थे. 


एसीबी की जांच में करोड़ों की इस सरकारी जमीन की बंदरबांट में कथित लाभार्थी विनय कुमार सिंह की मिलीभगत की पुष्टि हुई है. यह मामला तत्कालीन हजारीबाग डीसी विनय कुमार चौबे के कार्यकाल से जुड़ा हुआ है. यह दूसरा मौका है जब विनय चौबे के डीसी कार्यकाल में सरकारी भूमि को अवैध रूप से निजी स्वामित्व में स्थानांतरित किया गया है. इस मामले में एसीबी ने प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सरकार से अनुमति मांगी है.

 

 हजारीबाग खासमहल भूमि घोटाला 

 

हजारीबाग जिला में एक बड़ा खासमहल भूमि घोटाला सामने आया है, जिसमें एसीबी की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. इस मामले में तत्कालीन हजारीबाग डीसी विनय कुमार चौबे सहित कई अधिकारियों और निजी व्यक्तियों पर खासमहल और ट्रस्ट को आवंटित भूमि के अवैध हस्तांतरण का आरोप है. 


यह घोटाला हजारीबाग की 2.75 एकड़ खासमहल भूमि से संबंधित है, जिसे 1948 में 30 वर्षों के लिए एक ट्रस्ट 'सेवायत' को लीज पर दिया गया था. यह लीज 1978 में समाप्त हो गई थी और 2008 तक इसका नवीनीकरण किया गया. 


हालांकि 2008 से 2010 के बीच एक सुनियोजित प्रशासनिक षड्यंत्र के तहत इस भूमि को सरकारी भूमि घोषित कर 23 निजी व्यक्तियों को आवंटित कर दिया गया. आरोप है कि इस षड्यंत्र के केंद्र में तत्कालीन डीसी हजारीबाग विनय कुमार चौबे थे. 


उन पर आरोप है कि उन्होंने खासमहल पदाधिकारी के साथ मिलकर लीज नवीनीकरण के लिए दिए गए आवेदन से "सेवायत" शब्द जानबूझकर हटवाया. ऐसा इसलिए किया गया ताकि ट्रस्ट की भूमि को सरकारी दिखाया जा सके और उसका अवैध रूप से हस्तांतरण संभव हो सके.

 

 शराब घोटाला मामला 

 

शराब घोटाला मामले में एसीबी ने विनय कुमार चौबे को 20 मई को गिरफ्तार किया था. उनकी गिरफ्तारी के बाद सरकार ने कहा है कि गिरफ्तार आईएएस अधिकारी भ्रष्ट आचरण में लिप्त थे. उन्होंने शराब बिक्री के लिए एजेंसियों के चयन में नियमों का पालन नहीं किया. 


सरकार के अनुसार, विनय कुमार चौबे के धोखाधड़ी वाले कृत्यों से राज्य के खजाने को 38 करोड़ रूपया का नुकसान हुआ था. यह कांड अपने पद का दुरुपयोग करते हुए प्लेसमेंट एजेंसियों का चयन कर, तय प्रक्रिया एवं प्रावधानों का पालन किए बिना, आपराधिक मिलीभगत से सरकार के साथ जालसाजी और धोखाधड़ी का परिणाम था. 


इसमें सामूहिक अपराध किया गया और अनैतिक तरीके से लोगों को लाभ पहुंचाया गया, जिससे झारखंड सरकार को 38 करोड़ रूपया का नुकसान होने का अनुमान है.

 

आय से अधिक संपत्ति का मामला 


एसीबी की टीम विनय चौबे और उनके करीबियों की आय से अधिक संपत्ति की भी जांच कर रही है. शराब घोटाले की जांच के दौरान एसीबी को अवैध तरीके से संपत्ति अर्जित करने के संबंध में सबूत मिले थे. इन सबूतों के आधार पर एसीबी ने चौबे और उनके करीबियों की आय से अधिक संपत्ति की जांच के लिए प्रारंभिक जांच दर्ज करने का प्रस्ताव भेजा था, जिसे 6 जून को राज्य सरकार ने मंजूरी दे दी थी. 


शुरुआती जांच के दौरान एसीबी को जानकारी मिली कि विनय चौबे के करीबियों के नाम पर पांच प्रॉपर्टी हैं. इसके अलावा उनके नाम पर तीन कंपनियां भी हैं. जांच के दौरान संपत्ति में निवेश और कुछ लोगों के बीच लेनदेन होने की जानकारी भी एसीबी को मिली है. 


एसीबी द्वारा मामले में आरंभिक जांच के बाद सरकार को एक रिपोर्ट भेजकर संपत्ति के संबंध में खुले तौर पर जांच के लिए सरकार से पीई दर्ज करने की अनुमति मांगी गई थी.