America (New Jersey) : इजरायल और ईरान के बीच बीते नौ दिनों से लगातार युद्ध जारी है. दोनों देश एक दूसरे पर मिसाइल दांग रहे हैं, जिससे कई शहर तबाह हो चुके हैं. इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान-इजराइल के बीच चल रहे सैन्य तनाव पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि इजराइल ने अपने सैन्य अभियान में कुछ हद तक सफलता हासिल की है. लेकिन अमेरिकी सहयोग के बिना इजराइल ईरान की भूमिगत फोर्डो परमाणु सुविधा को नष्ट करने में सक्षम नहीं है.
कभी-कभी शांति के लिए कठोरता जरूरी
इंडिया टूडे के अनुसार, ट्रंप ने न्यूजर्सी में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि इजराइल की क्षमता बहुत सीमित है. वे एक छोटे से हिस्से को तोड़ सकते हैं, लेकिन वे गहराई तक नहीं जा सकते. उनके पास वह क्षमता नहीं है. ट्रंप ने इस मौके पर कूटनीतिक समाधान और सैन्य समर्थन के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि हालांकि वह हमेशा शांति के पक्षधर रहे हैं, लेकिन कभी-कभी शांति के लिए कठोरता जरूरी होती है.
राजनयिक प्रयासों पर यूरोप को झटका
राष्ट्रपति ने यूरोपीय देशों की मध्यस्थता की कोशिशों को पूरी तरह से खारिज कर दिया. उन्होंने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्होंने मदद नहीं की. ईरान यूरोप से बात नहीं करना चाहता. वे हमसे बात करना चाहते हैं. यूरोप इस मामले में मदद नहीं कर पाएगा.
सीधी अमेरिकी सैन्य भागीदारी से इनकार
इज़राइल द्वारा चलाए जा रहे सैन्य अभियानों पर ट्रंप ने कहा कि उन्हें इजराइल को रोकना अभी संभव नहीं लगता. अगर कोई जीत रहा है, तो उस समय उन्हें रोकने की बात करना बहुत कठिन है. इजराइल युद्ध में अच्छा कर रहा है, जबकि ईरान उतना अच्छा नहीं कर पा रहा है. ” हालिया संघर्षों के बावजूद, ट्रंप ने अमेरिकी सेना की सीधे जमीनी हस्तक्षेप की संभावना को खारिज कर दिया. कहा कि यह आखिरी चीज है जो आप करना चाहते हैं. अमेरिका फिलहाल युद्ध में सीधे उतरने की स्थिति में नहीं है.
ईरान को दी चेतावनी-अधिकतम दो सप्ताह’
जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या अमेरिका इजराइल का समर्थन जारी रखेगा, तो उन्होंने कहा कि वह ईरान को प्रतिक्रिया देने का समय दे रहे हैं. मैं कहूंगा कि अधिकतम दो सप्ताह होंगे. डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान से यह संकेत मिलता है कि अमेरिका ईरान-इज़राइल तनाव को लेकर सतर्क है, लेकिन फिलहाल प्रत्यक्ष सैन्य हस्तक्षेप से दूर रहना चाहता है. ट्रंप का यह रवैया एक तरफ जहां इजराइल को समर्थन देता है, वहीं दूसरी ओर वह राजनयिक समाधान की संभावनाओं को भी खुला रखना चाहता है.