इन अधिकारियों को नोटिस भेजा गया है :
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव
अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के सचिव
वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के सचिव
खान एवं भूविज्ञान विभाग के सचिव
राज्य पुलिस महानिदेशक (DGP)
एक्टिविस्ट मंटु सोनी की शिकायत पर आयोग ने उठाया कदम
आयोग ने एक्टिविस्ट मंटु सोनी की शिकायत पर यह कदम उठाया है. आरोप है कि एनटीपीसी ने खनन, पर्यावरण और आम जनजीवन के सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर जल्दबाजी में खनन शुरू कर दिया, जिससे बिरहोर समुदाय के तीन लोगों की मौत हो गयी. इस बीच 23 अप्रैल को चौथे बिहहोर दो माह की दुधमुंही बच्ची निशा बिरहोर की मौत हो गयी.
गीता बिरहोर की मौत ऐसे समय में हुई, जब इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने सख्त कदम उठाया है. आयोग ने बिरहोरों की मौत पर कड़ी टिप्पणी करते हुए एनटीपीसी के सीएमडी और हजारीबाग के डीसी से स्पष्टीकरण मांगा है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने यह कहा है कि बेशक एनटीपीसी द्वारा खनन किया जा रहा है, जबकि यह उचित नहीं है.
NHRC ने कहा कि मामले के तथ्य और संयुक्त निरीक्षण समिति की रिपोर्ट आयोग को यह मानने के लिए बाध्य करती है कि एनटीपीसी और जिला प्रशासन ने बिरहोर आदिवासियों के जीवन और कल्याण पर खनन गतिविधि को प्राथमिकता दी है. समस्याओं और जानमाल के नुकसान के बावजूद चट्टी बरियातु खनन परियोजना में खनन कार्य बेरोकटोक जारी है. बिरहोर समुदाय के जीवन के अधिकार पर खतरा मंडरा रहा है.
जांच कमेटी की सिफारिशों पर जिला प्रशासन ने अब तक कोई नहीं की कार्रवाई राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) ने कहा कि वह इस बात को लेकर बेहद गंभीर और हैरान है कि जिला प्रशासन ने अब तक जांच कमेटी की सिफारिशों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की है. आयोग ने अनुमंडल पदाधिकारी (SDO) की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए जिला प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. रिपोर्ट में साफ लिखा था कि एनटीपीसी द्वारा बिरहोर टोला, पगार के आसपास किया जा रहा खनन स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है. भारी मात्रा में उड़ती धूल, खनन के दौरान होने वाले धमाके और भारी वाहनों की आवाजाही से यहां के लोगों को श्वास और अन्य बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही माइनिंग करने के लिए विस्फोट किया जाता है, जिसके कारण कोई भी बड़ी दुर्घटना घट सकती है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि "जब तक बिरहोर समुदाय को दूसरी सुरक्षित जगह नहीं बसाया जाता, तब तक वहां खनन नहीं किया जाना चाहिए. लेकिन इसके बावजूद आज भी खनन जारी है. सबसे चिंताजनक बात यह है कि अब तक जिन परिस्थितियों में बिरहोरों की मौत हुई है, इसके बाद भी CRPC की धारा 174 (3) के तहत उनका पोस्टमार्टम नहीं कराया गया, आयोग ने इस लापरवाही को मौत के असली कारणों को छुपाने और दोषियों को बचाने की कोशिश बताया है.
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