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टैरिफ वार ही नहीं बैंकों के खास्ता हाल की वजह से शेयर बाजार में जारी है BloodBath

SURJIT SINGH अमेरिका के राष्ट्रपति Donald Trump के टैरिफ वार ने दुनियाभर में अफरा-तफरी मचा रखी है. स्टील और मेटल आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद सोमवार को शेयर बाजार में गिरावट दर्ज की गई, वहीं मंगलवार को शेयर बाजार में कोहराम मच गया. बाजार में डर का माहौल है. लेकिन क्या बाजार के गिरने की वजह सिर्फ टैरिफ वार ही है. बिल्कुल नहीं, इसकी एक बड़ी वजह बैंकों का खास्ता हाल है. मंगलवार को शेयर बाजार करीब 1.50 प्रतिशत तक टूट गया. शेयर बाजार 1018 अंक की गिरावट के साथ 76,293 पर बंद हुआ. मंगलवार का दिन लगातार हो रही गिरावट का 7वां दिन है. अलग-अलग रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन 7 दिनों में निवेशकों को करीब 15 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. टैरिफ वार के साथ-साथ बैंकों के पास लिक्विडिटी डिफिशिएट (बैंकों के पास नकदी की कमी) की वजह से भी बाजार का मूड पूरी तरह खराब है. यह डिफिशिएट 1.03 लाख करोड़ रुपये कमी है. लोग बैंकों में पैसे जमा कर नहीं पा रहे हैं. इस कारण ब्रांच में पैसे की कमी है. बैंक पिछले 15 साल की सबसे खराब स्थिति में है. आरबीआई ने इसे खत्म करने के लिए कई कदम उठाये, डॉलर बेच कर बैंकों के लिए नकदी जुटाया, लेकिन उसका असर भी बैंकों के लिक्विडिटी डिफिसिएट पर नहीं पड़ रहा है. उल्टे विशेषज्ञों का कहना है कि मार्च के अंत तक 2.5 लाख करोड़ तक का डिफिशिएट पहुंच सकता है. एक अन्य वजह यह है कि विदेशी निवेशकों ने एक जनवरी से लेकर आज तक करीब 1000 करोड़ डॉलर निकाल चुके हैं. यही कारण है कि बजट में इनकम टैक्स कम करके एक लाख करोड़ रुपये का लाभ देने और इंटरेस्ट रेट में .25 बेसिस प्वाइंट कम करने के बाद भी बाजार में गिरावट थम नहीं रही है. आरबीआई ने जो इंटरेस्ट रेट में कमी लायी है, बैंक उसे आम उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में सक्षम ही नहीं है. क्योंकि बैंकों में कैश बहुत कम बचा है. जब तक बैंकों के पास पर्याप्त नकदी नहीं हो जाता, तब तक इंटरेस्ट रेट में कमी का लाभ लोन लेने वालों को मिलना संभव ही नहीं है.

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