झारखंड के जाने-माने कोल व्यवसायी हैं अभय सिंह, आपराधिक मामले की जांच में जुटी पुलिस
कोयला तस्करी करने का बदल गया स्वरूप, अब ट्रेंडिंग और हार्डकोक के जरिए हो रहा कोयले का अवैध कारोबार
Gaurav Prakash
Hazaribagh : कोल लिंकेज मामले में हजारीबाग समेत पूरे राज्य भर के जाने-माने कोल व्यवसायी अभय सिंह को शनिवार को पुलिस ने हिरासत में लिया था. रात के 11:00 बजे उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. इसके साथ ही कोयला और होटल कारोबारी अभय सिंह का नया ठिकाना जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा बन गया. जेल भेजने के बाद पूरे जिले भर के कोल व्यवसायियों में हड़कंप मचा है. कोई भी कोयला व्यापारी इस मुद्दे पर किसी भी तरह की चर्चा करने से बच रहे हैं. रविवार को भी दिनभर कोयला कारोबारी अभय सिंह की गिरफ्तारी को लेकर चर्चा का बाजार गर्म रहा. सभी इस बात को लेकर हैरत में थे कि आखिर तीन दशकों से जो कोयला का कारोबार कर रहा था, जिसकी पहुंच खाकी-खादी सब में है, उसे आखिर कैसे गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.
बीते शनिवार को कोई भी पदाधिकारी इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थे. इस पूरे ऑपरेशन में हजारीबाग एसडीओ विद्याभूषण, डीएसओ अरविंद कुमार, डीएमओ अजीत कुमार और राज्य प्रदूषण बोर्ड के सदस्य अभिनव कुमार शामिल थे.
प्राथमिकी में बिना ई-चालान के 350 टन कोयला बेचे जाने का लगाया गया आरोप
जांच अभियान के दौरान यह पाया गया कि सुपर कोक इंडस्ट्रीज को कोयला खनिज के प्रसंस्करण के लिए जिला खनन कार्यालय, हजारीबाग से डीलर्स निबंधन स्वीकृत है. वहां पर कोयले की खरीदारी वैध कोलियरियों से ई-परिवहन चालान के माध्यम से कर फैक्ट्री की ओर से प्रसंस्करण कर कोयले से निर्मित सॉफ्ट कोक की ही बिक्री की जानी है. किन्तु जांच के क्रम में पाया गया कि कंपनी की ओर से बगैर अनुमति प्राप्त किए ही उस स्थल से आरओएम कोयले की बिक्री के लिए ट्रक में लोडिंग की जा रही थी.
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बिना ई-चालान के ही कोयला बेचा जा रहा था. लगभग 350 टन चोरी का कोयला बेचने का आरोप लगाया गया है. सुपर कोल इंडस्ट्रीज फैक्ट्री डेमोटांड़ रजिस्टर्ड कंपनी है. वहां वैध कोलियरी से ई-परिवहन चालान से फैक्ट्री तक कोयला पहुंचता है. वहां से सॉफ्ट कोक तैयार होता है. लेकिन जांच के दौरान पाया गया कि बगैर ई-चालान के ही कोयला बाहर भेजा जा रहा था. साथ ही बड़े पैमाने पर कोयला डंप किया गया था. जांच के दौरान पाया गया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी एनओसी नहीं लिया गया था. अवैध रूप से कोल लिंकेज कर कोयले की तस्करी की जा रही थी.
इन धाराओं के तहत भेजे गए जेल
कोल व्यवसायी अभय सिंह पर गैर जमानती धारा के तहत मुफ्फसिल थाने में मामला दर्ज किया गया है. खान एवं खनिज विकास एवं विनियमन अधिनियम 1957 की धारा 4/21, झारखंड लघु खनिज समनुदान अधिनियम 2004 के संशोधित नियम 4/ 54 झारखंड मिनिरल प्रिवेंशन ऑफ इन लीगल माइनिंग ट्रांसपोर्ट एंड स्टोरेज रूल 2017 के नियमों की धारा 13, जल प्रदूषण निवारण अधिनियम 1974 की धारा 25 /26, वायु प्रदूषण अधिनियम 1981 की धारा 21, आईपीसी की धारा 379 के तहत मामला दर्ज है. अभियान के दौरान 700 टन कोयला जमा था और ट्रक पर 20 टन कोयला लोड था.
ठंडे बस्ते में गए मामले की चल रही तहकीकात
रविवार को दिन भर हजारीबाग पुलिस कोल माफिया अभय सिंह के आपराधिक इतिहास को खंगालने में जुटी रही. यह बताया जा रहा था कि कोयला से जुड़े हुए कई मामले विभिन्न थानों में दर्ज हैं. लेकिन वह सभी मामले ठंडे बस्ते में चले गए हैं. ऐसे में उन सभी मामलों की तहकीकात शुरू कर दी गई है. हजारीबाग के एसपी मनोज रतन ने थाना प्रभारी बजरंग कुमार से इस पूरे मामले की जानकारी ली है.
धौंस नहीं दिखाते, तो नहीं बढ़ता मामला
बताया जाता है कि कोयला कारोबारी अभय सिंह जैसे ही डेमोटांड़ स्थित अपने सुपर कोल इंडस्ट्रीज फैक्ट्री में पहुंचे और देखा कि वरीय पदाधिकारी जांच कर रहे हैं, तो अपना धौंस दिखाने लगे. ऑपरेशन में लगे हुए पदाधिकारियों को राज्य के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के नाम का धौंस दिखाया. उसी वक्त अभय सिंह और ऑपरेशन में लगे हुए पदाधिकारियों में विवाद बढ़ गया और बात बिगड़ती चली गई. पहले यह कोशिश की गई कि इस पूरे मामले की लीपापोती कर दी जाए. ऑपरेशन में लगे पदाधिकारी ने स्पष्ट किया कि जो भी नियम तोड़कर कोयले का व्यवसाय कर रहा है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. रात को ही प्राथमिकी तैयार की गई और अजीत कुमार को सूचक बनाया गया. रात 11:00 बजे अभय सिंह को मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. हिरासत में लेने के बाद भी केस मैनेज करने को लेकर दबाव बनाया गया.
ईडी की दहशत से भी किसी ने नहीं की मदद
अंदर खाने से यह भी बात सामने आ रही है कि इन दिनों ईडी की दबिश पूरे राज्य भर में है. खासकर कोल लिंकेज के मामले में कई कोयला व्यापारियों के घर और ठिकानों पर छापेमारी भी की गई है. इस कारण भी कोल व्यापारियों में दहशत का माहौल है. पदाधिकारी भी पैरवी करने से बच रहे हैं. ईडी का खौफ इस तरह से है कि कोल माफिया को संरक्षण देने वाले पदाधिकारियों और राजनेताओं ने माफियाओं का नंबर तक ब्लॉक कर दिया है.
जानिए कैसे कर रहे कोल माफिया ट्रेंड बदल कोयले की तस्करी
इन दिनों कोयला चोरी करने का ट्रेंड भी बदलता हुआ नजर आ रहा है. कोल लिंकेज और हार्ड कोक संचालक के साथ मिलकर माफिया कोयले की तस्करी कर रहे हैं. इससे प्रशासन पर उंगली भी नहीं उठती है. यही कारण है कि कोल लिंकेज से जुड़ा मामला इन दिनों प्रकाश में आ रहा है. इस कारण पूरे मामले की जांच भी ईडी कर रही है.
काफी कम दिनों में अभय सिंह ने खूब बटोरी सुर्खियां
अभय सिंह झारखंड के जाने-माने कोयला व्यवसायी हैं. पिछले तीन दशकों से कोयला से जुड़ा व्यापार कर रहे हैं. इनके पास सैकड़ों ट्रक हैं. आधे दर्जन से अधिक फैक्ट्रियां और हजारीबाग के मटवारी में आलीशान होटल एके इंटरनेशनल भी है. इनका पैतृक आवास इटखोरी में है और काफी कम दिनों में उन्होंने अपना वर्चस्व कोयला के क्षेत्र में बनाया. इनके ताल्लुकात बड़े-बड़े अधिकारियों और राजनेताओं से हैं. ऐसे में उनकी अपनी धमक भी है. लेकिन अभय सिंह कभी भी लाइमलाइट में नहीं रहे. पहले भी उनके खिलाफ सीबीआई जांच कर चुकी है. उनके होटल से लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी के कमरे से करीब 25 लाख रुपए बरामद भी हुए थे. उस वक्त भी वह सुर्खियों में आए थे. उनके बारे में बताया जाता है कि जब कोयले का अवैध व्यापार डिस्को चलता था, उस वक्त से वह कोयला का अवैध व्यापार कर रहे हैं. मुख्य रूप से यह कोल लिंकेज के माहिर खिलाड़ी हैं. उत्तर प्रदेश और बिहार में उनके कोयले का सप्लाई होती रही है. होटल बनाने के बाद इनका नाम कोयला कारोबारी से हटकर होटल व्यवसायी के रूप में हुआ, लेकिन कोयला का धंधा बदस्तूर चलता रहा.
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