कोल्ड स्टोरेज नहीं होने से किसान परेशान
Dhanbad : धनबाद जिले के पूर्वी टुंडी प्रखंड के दुम्मा गांव में इस बार टमाटर की बंपर पैदावार हुई है. लेकिन किसान खुश होने की बजाय निराश हैं. क्योंकि स्थानीय सब्जी मंडी में टमाटर थोक में महज 2 रुपए प्रति किलो की दर पर बिक रहा है. ऐसे में कई किसान तो अपना टमाटर खेत में ही छोड़ देने पर मजबूर हैं. क्योंकि कोल्ड स्टोरेज के अभाव में टमाटर को सुरक्षित रख पाना मश्किल हो रहा है. ऊपर से कम कीमत ने उनकी चिंता और बढ़ा दी है. किसानों के अनुसार, टमाटर की खेती में लागत विक्रय मूल्य से तीन गुना अधिक है.
भारी नुकसाना उठाना पड़ रहा- ओनाथ मोदक
दुम्मा के किसान ओनाथ मोदक का कहना है कि यहां के लोगों की जीविका का मुख्य साधन खेती है. सभी लोग कृषि से जुड़े हैं. सब्जी की खेती बारह महीने होती है. लेकिन इस बार यहां के किसानों की स्थिति काफी दयनीय है. दुम्मा में इस बार टमाटर की बंपर खेती हुई है, जिससे कीमत बहुत कम हो गई है. व्यपारी 2 रुपये प्रति किलो के भाव से खरीद रहे हैं. इस स्थिति में किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा भाव में कमी का सीधा कारण अधिक उत्पादन होना और मांग कम होना है. जिले में टमाटर की कोई बड़ी प्रोसेसिंग यूनिट भी नहीं है. उन्होंने कहा किसानों की दयनीय स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन को विशेष ध्यान देने की जरूरत है.
बाजार उपलब्ध नहीं होने से कीमत कम : सविता देवी
किसान सविता देवी का कहना है कि उसने 4-5 एकड़ में टमाटर की खेती की है. जिसमें 3-4 लाख रुपए लागत आई है. बेहतर तकनीक अपनाकर टमाटर की फसल का उत्पादन तो अधिक कर लिया, लेकिन बाजार उपलब्ध नहीं होने के कारण कीमत काफी कम है. ऐसा प्रतीत हो रहा कि लागत तो दूर 50-60 हजार भी निकलना मुश्किल है. पता नही अब परिवार का भरण पोषण कैसे होगा.सरकार हम किसानों को जल्द से जल्द कोल्ड स्टोरेज की सुविधा दे. ताकि वे अपने उत्पाद को सुरक्षित रख सकें.
खेत में ही टमाटर छोड़ने की मजबूरी : किसान संतोष
किसान संतोष ने बताया कि उसने 2-3 एकड़ खेत में टमाटर की खेती की थी. उत्पादन भी अच्छा हुआ लेकिन मंडियों में भाव नहीं मिलने से लागत निकालना तो दूर, मंडी तक उपज ले जाने का परिवहन खर्च भी महंगा पड़ने लगा है. ऐसे में उपज को खेत में ही छोड़ने को मजबूर हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यहां के किसान मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. जिला प्रशासन की ओर से कोई सहयोग नही मिल रहा है. यहां न तो कोल्ड स्टोरेज है और न ही समय पर बीज मिलता है. यही नहीं, केसीसी का पैसा भी किसानों को नही, ब्लॉक और बैंकों के दलालों को ही मिलता है. उन्होंने कहा कि सरकार और जिला प्रशासन को विशेष रूप से किसानों पर ध्यान देने की जरूरत है. ताकि किसान आत्महत्या जैसे ख़ौफ़नाक कदम न उठाने पाएं.
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