Ranchi : पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की से जुड़े आय से अधिक संपत्ति के मामले में रांची सीबीआइ कोर्ट 28 मार्च को अपना फ़ैसला सुनायेगा. कोर्ट के फैसले से पहले हम आपको इस केस से जुड़े सभी तथ्य बता रहे हैं. आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का जो मामला बंधु तिर्की के गले की हड्डी बना हुआ है, इसे वर्ष 2010 में दर्ज किया गया था. इस केस का नंबर आरसी 5(A) 2010 है. CBI के मुताबिक बंधु तिर्की ने अपने विधायक और मंत्री रहने के दौरान वर्ष 2005 से लेकर वर्ष 2009 के बीच 6 लाख 28 हज़ार 698 रुपये की आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है. CBI ने इन आरोपों को साबित करने के लिए न्यायालय में 21 गवाह और बंधु तिर्कि की संपत्ति के काग़जात, आय-व्यय का ब्योरा और वेतन का ब्योरा कोर्ट को दिया है. अपने बचाव में बंधु ने भी 8 गवाह कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए हैं.
फैसले पर बंधु का राजनीतिक भविष्य टिका हुआ है
झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर 4 अगस्त 2010 को CBI ने विजिलेंस केस नंबर 09/09 की जांच को टेकओवर करते हुए 11 अगस्त 2010 को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की. जांच के बाद 21 मार्च 2013 को CBI ने बंधु तिर्की की आय, संपत्ति और व्यय का विवरण देते हुए क्लोजर रिपोर्ट न्यायालय में जमा की. सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट पर संज्ञान के बाद 16 जनवरी 2019 को आरोप गठित हुआ. इस केस में बंधु तिर्की को सीबीआइ ने गिरफ़्तार किया था, जिसके बाद इन्हें कई महीने तक जेल की सलाख़ों के पीछे रहना पड़ा था. फ़िलहाल वो हाईकोर्ट के आदेश पर ज़मानत पर हैं. 28 मार्च को न्यायालय क्या फ़ैसला सुनता है, इस पर बंधु का राजनीतिक भविष्य टिका हुआ है.
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